नीतीश कुमार की क्या रणनीति हो सकती है इसको लेकर मीडिया में भी कई तरह की खबरें चल रही हैं.
महाराष्ट्र में जिस तरह से बीजेपी ने जोड़तोड़ की सियासत की क्या बिहार में उसी तरह की राजनीति से नीतीश कुमार डरे हुए हैं? ऐसे कई प्रश्न हैं.इस पर जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बोला कि मीडिया में कई तरह के कयास लग रहे हैं परंतु नीतीश कुमार सभी बातों को बारीकी से देखते हैं और समझते हैं. पहले उन्होंने वर्तमान विधायक, विधान पार्षद और सांसदों से मुलाकात की लेकिन अब वे पूर्व विधायक और विधान परिषद से मिल रहे हैं. इसका मकसद यह है कि नीतीश कुमार बहुत दिनों से लोगों से व्यक्तिगत संपर्क में नहीं आ रहे थे. अकेले मिलने से पता चलता है कि कौन आदमी सियासत में क्या समझ रखता है उसके हिसाब से क्षेत्र की भी उसकी कोई समस्या है तो इसकी सूचना मिलती है.कई पूर्व विधायक और विधान पार्षद ऐसे भी होंगे जिनकी सीट चली गई तो उनका भी मन नीतीश कुमार टटोलते हैं कि कहीं वह दाएं-बाएं तो नहीं जा रहा है. इधर-उधर तो कहीं नहीं भाग जाएगा. यह सब बातें हैं. नीतीश कुमार देख रहे हैं कि वह अभी विपक्षी एकत्व की मुहिम में लगे हुए हैं तो ऐसे में इन लोगों का नजरिया क्या है. इन सबसे उन्हें फीडबैक मिल जाता है.
जेडीयू प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने बोला कि नीतीश कुमार जनता से सीधा संवाद करते हैं. कार्यकर्ताओं से संवाद करते हैं. 2020 में जिस सीट पर हम चुनाव हारे हैं तो बहुत जगह भारतीय जनता पार्टी ने विश्वासघात किया था. उस समय भी नीतीश कुमार ने इन लोगों से भेंट की थी. इन लोगों ने बताया था. तो स्वभाविक है कि नीतीश कुमार ने उनकी भावना का सम्मान किया है. उन्होंने गठबंधन का स्वरूप बदला और विपक्षी एकत्व की मुहिम में लगे. इसका दूरगामी असर हो रहा है. इसके बारे में नेताओं को बताना, समझाना, उनसे जानकारी लेना, इसी वजह से नीतीश कुमार ने पूर्व विधायक और विधान पार्षदों से भेंट की है.