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बिहार की सियासत में फिर दोहराया जाने वाला है इतिहास? CM नीतीश को लेकर जताई जा रहे ये अनुमान

संवाद 


आठवीं बार मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एक बार फिर चक्रव्यूह में फंस गए हैं. कल तक भतीजे को आगे बढ़ाने की बात करने वाले नीतीश कुमार के सामने अब एक नई ललकार आ गई है. करप्शन, कम्यूनलिज्म और क्राइम पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले नीतीश कुमार के चक्रव्यूह में फंसने की बात हम इसलिए बोल रहे हैं कि क्योंकि तेजस्वी यादव पर सीबीआई ने नौकरी के बदले जमीन लेने के घटना में आरोप पत्र दाखिल किया है. ऐसे में प्रश्न उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार 2017 वाला इतिहास दोहराएंगे? क्या तेज यादव से नीतीश कुमार त्यागपत्र लेंगे? क्या तेजस्वी यादव को बर्खास्त किया जाएगा?2017 में महागठबंधन की सरकार थी तब तेजस्वी डिप्टी सीएम थे. उस वक्त रेलवे टेंडर घोटाला मामले में लालू परिवार के यहां जांच-पड़ताल एजेंसियों की छापेमारी चल रही थी. तेजस्वी का भी नाम इस घोटाले में आया था. तब नीतीश ने तेजस्वी को सफाई देने के लिए बोला था, लेकिन इन्होंने सफाई नहीं दी. उसके बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से ही त्यागपत्र दिया था. उसके बाद बिहार में महागठबंधन सरकार की चली गई थी. अब फिर से वही परिस्थिति बनती दिख रही है.
आरोप पत्र में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम आरोपी के तौर पर सम्मिलित हैं. राउज एवेन्यू कोर्ट में 12 जुलाई को सुनवाई होगी. इसी मामले में सीबीआई पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और कई अन्य के विरुद्ध पहले ही आरोप पत्र दायर कर चुकी है. राज्यसभा सांसद सुशील मोदी तेजस्वी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं. अभी तेजस्वी के पास स्वास्थ्य, नगर विकास एवं आवास समेत पांच अहम मंत्रालय हैं.बिहार में महागठबंधन में सबसे बड़ा दल आरजेडी है. उसी के समर्थन से नीतीश मुख्यमंत्री हैं. 

सियासी गलियारों में जिक्र इस बात की भी है कि बीते केंद्र की राजनीति में जा सकते हैं और तेजस्वी को सीएम बना सकते हैं. 

आरजेडी में जेडीयू के विलय की भी जिक्र है. इन दिनों नीतीश अपने विधायकों सांसदों से वन टू वन मीटिंग भी कर रहे हैं. इन सब को उसी से जोड़कर भी देखा जा रहा है. हम (HAM) के संरक्षक और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी 2005 में नीतीश के मुख्यमंत्री बनने के बाद एनडीए सरकार में मंत्री बने थे, लेकिन मंत्री पद की शपथ लेने के कुछ ही घंटे बाद उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था. 1999 में जीतन राम मांझी लालू प्रसाद की सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री थे. उस वक्त एक डिग्री घोटाला हुआ था. उस घोटाले में उनका नाम आया था. त्यागपत्र के बाद में वह इस मामले में आरोप मुक्त हो गए थे. तब नीतीश ने उन्हें दोबारा मंत्री बनाया था.2008 में बिहार में सीएम नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही थी. तब रामानंद सिंह मंत्री थे लेकिन उनको त्यागपत्र देना पड़ा था.  यह मामला वर्ष 1990 का था तब निगरानी ब्यूरो ने उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. एक वक्त आरएन सिंह मुजफ्फरपुर थर्मल पावर स्टेशन में फ्यूएल टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में कार्य कर रहे थे. उन पर यह इल्जाम था कि इन्होंने खराब क्वालिटी की पाइप की खरीदारी थर्मल पावर स्टेशन के लिए की थी. त्यागपत्र देने के बाद मामले में जांच-पड़ताल हुई. जेल गए. रिहा हुए. मामला समाप्त हुआ. फिर दोबारा बिहार सरकार में मंत्री बने थे.2011 में भी बिहार में एनडीए की सरकार थी. नीतीश मुख्यमंत्री थे व दूसरी बार एनडीए की सरकार का नेतृत्व कर रहे थे. 2011 में ही कोर्ट द्वारा फरार घोषित होने के बाद मंत्री रामाधार सिंह को त्यागपत्र देना पड़ा था. चुनाव के वक्त उन पर दंगा फैलाने का इल्जाम था. मामले में कोर्ट से बरी होने के बाद उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया था.
2015 में नीतीश सरकार में मंत्री रहे अवधेश कुशवाहा एक स्टिंग ऑपरेशन में घूस लेते पकड़े गए थे. स्टिंग ऑपरेशन में 4 लाख रुपये घूस लेते वह पकड़ाए थे.
2018 में बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 34 बच्चियों से हुए यौनशोषण के मामले में सीबीआई जांच के खुलासे के बाद मंत्री मंजू वर्मा को त्यागपत्र देना पड़ा था.2020 में एनडीए सरकार बनने पर मेवालाल चौधरी जो शिक्षा मंत्री बनाए गए थे उन्हें तीन दिन के अंदर त्यागपत्र देना पड़ा था. वह भर्ती घोटाले में आरोपी थे. मेवालाल चौधरी पर सबौर विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए नियुक्ति घोटाले में मामला दर्ज हुआ था. उनके कुलपति रहते कृषि विश्वविद्यालय में साल 2012 में सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की बहाली हुई थी. बताया जाता है कि उस नियुक्ति में धांधली की गई थी.2022 में महागठबंधन सरकार में कानून मंत्री रहे कार्तिक मास्टर को भी त्यागपत्र देना पड़ा था. अपहरण केस को लेकर वारंट तकरार में घिरे थे. जिस दिन उन्हें एक अपहरण केस में कोर्ट में सरेंडर करना था उसी दिन इन्होंने राजभवन आ कर मंत्री पद की शपथ ले ली. इतना ही नहीं कार्तिक कोर्ट की नजर में 8 वर्ष से फरार थे.

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