बता दें कि केके पाठक को जून में ही शिक्षा विभाग में भेजा गया है. वह कड़क अधिकारी माने जाते हैं. निरंतर ताबड़तोड़ न्याय ले रहे हैं. विभाग के निदेशक स्तर के पदाधिकारियों को भी पीत पत्र भेजा गया है. उसके माध्यम शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न उठाए हैं. बिहार सरकार के नियमों के मुताबिक कार्य नहीं करने का इल्जाम लगाया है. शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने अपने खत में लिखा है कि ऐसा देखा जा रहा है कि कई मामलों में सरकार के काम संहिता के हिसाब से कार्य नहीं कराए जा रहे हैं.
पीत पत्र में बोला गया है कि राजपत्रित अधिकारियों को उनके पद के अनुकूल कार्य नहीं दिए जा रहे हैं.
विभाग के अधिकारियों से उनके पद से नीचे स्तर के कार्य लिए जा रहें हैं इसलिए इस प्रकार की कार्यशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है.पत्र में लिखा गया है- "पिछले कई दिनों से शिक्षा मंत्री के द्वारा यह महसूस किया जा रहा है कि शिक्षा विभाग मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक जिक्र में रहा है विभाग से संबंधित कोई भी पत्र/संकल्प आदि विभागीय पदाधिकारियों/मंत्री कोषांग में पहुंचने से पूर्व ही सोशल मीडिया/यूट्यूब चैनलों तथा विभिन्न वॉट्सएप ग्रुप में पारेषित होने लगते हैं. शिक्षा विभाग में ज्ञान से अधिक जिक्र कड़क, सीधा करने, नट बोल्ट टाइट करने, शौचालय सफाई, झाड़ू मारने, ड्रेस पहनने, फोड़ने, डराने, पैंट गीली करने, नकेल कसने, तनखाह काटने, निलंबित करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे शब्दों का हो रहा है."बता दें कि स्कूलों में निरीक्षण चल रहा है. पटना जिले में स्कूलों के औचक निरीक्षण के दौरान 77 शिक्षक बिना जानकारी के गैरमौजूदगी पाए गए. इनका तनखाह अगले निर्देश तक के लिए रोक दिया गया है. शिक्षकों को वक्त पर स्कूल आने के निर्देश को लेकर तो कभी कर्मियों के जींस-टीशर्ट पहनकर दफ्तर आने पर प्रतिबंध के निर्देश के वजह से केके पाठक सुर्खियों में हैं. माना जा रहा है कि विभाग में खुद की अनदेखी से मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर अप्रसन्न हो गए हैं और अधिकारियों को कार्यशैली सुधारने की उपदेश दी है.