उनकी तरफ अब कौन देखने वाला है, उनकी पार्टी तो अब समाप्त हो गई है.
अगर उनकी पार्टी अटल रहती तो बिहार में ताकत दिखती और लोग उनकी पार्टी में समर्पण करते, लेकिन अब तो समाप्त हो चुकी है.बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा मंगलवार को हाजीपुर सदर अस्पताल में भर्ती अपनी पार्टी के जिलाध्यक्ष लालदेव राम की बेटी से मिलने गए थे. 2 दिन पहले दुर्घटना हो गया था. उसी को देखने के लिए आए थे. अस्पताल से लौटने के दौरान में इन्होंने बयान देते हुए मॉनसून सत्र के विधानसभा में हंगामे पर बोला कि स्वाभाविक है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है तो हर पार्टी अब अपने को उसी रूप में प्रोजेक्ट करना चाह रही है. एक-दूसरे पर इल्जाम लगा रही है. विधानसभा में यह सब हंगामा चलता रहता है.शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के विरोध पर उपेंद्र कुशवाहा ने बोला कि हम तो बार-बार बोल रहे हैं कि सरकार को इनकी समस्या को गंभीरता से लेनी चाहिए. लाठी मारने और आंदोलन करने से रोकने के बजाय उनको बुलाकर उनसे बात करनी चाहिए. बात करके कुछ समाधान निकालना चाहिए. सरकार का दायित्व समाधान निकालना है. यह बात अच्छी नहीं है कि किसी को आंदोलन करने से रोका जा सकता है. सभी का हक है. जिस प्रकार से शिक्षकों को गर्दनीबाग में रोका गया वह पूरी तरह गलत है.