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चुनावी मैदान में NDA और महागठबंधन के सामने क्या ताल ठोकेंगे PK? दिया ये बड़ा बयान

संवाद 

जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) समस्तीपुर में राजनीतिक पार्टी को लेकर बुधवार को बड़ा वर्णन दिया. उन्होंने बोला कि पदयात्रा के दौरान मेरे पास लोगों के सुझाव आए हैं कि पूरी पदयात्रा समाप्त करने में दो से तीन वर्ष का वक्त लगेगा. कम से कम जिन जिलों में पदयात्रा समाप्त हो चुकी है और संगठन बन गया है उन जिलों में जन सुराज को राजनीतिक रूप दिया जाए. जन सुराज में चुनाव (Lok Sabha Election 2024) लड़ने के दो तरीके हो सकते हैं पहला, कोई निर्दलीय चुनाव लड़े, जिसकी सहायता पूरी जन सुराज के लोग करेंगे. दूसरा, जन सुराज पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाए. 

अब इसका रूप क्या होगा ये अक्टूबर के आसपास फैसला होने का अनुमान देखता हूं.

प्रशांत किशोर ने बोला कि जब मैंने पदयात्रा की शुरुआत की थी तब मैंने बताया था कि पदयात्रा के बाद सब लोग मिलकर दल बनाएंगे. पदयात्रा जब प्रारंभ की गई थी तो एक अनुमान था कि एक जिले में पदयात्रा को समाप्त होने में 10 से 15 दिन का वक्त लगेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ आज एक जिले में पदयात्रा समाप्त होने में 50 से 60 दिन लग रहा है. हम सबके बीच जिक्र हो रही है और यह संभव है कि अगले दो से तीन महीने में जिन जिले में पदयात्रा खत्म हो चुकी है और जहां संगठन बन गया है और लोग जन सुराज से जुड़ गए हैं वहां पर लोग मिलकर यह फैसला ले सकते हैं कि लोग चुनाव लड़ेंगे.आगे चुनावी रणनीतिकार ने बोला कि बिहार में जाति एक बड़ी सच्चाई है. हमने जो परिकल्पना जाति वाली अपने मन में बैठा ली है वो ठीक नहीं है. बिहार में जाति उतनी ही बड़ी सच्चाई है जितना कि उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में है. हम और आप बस मान बैठें हैं कि बिहार में जाति ही एक सच्चाई है. दूसरी बात हर आदमी बिहार में जाति पर वोट कर रहा है, ये भी सच्चाई नहीं है. बिहार में हम में से कई लोग मानते हैं कि बीजेपी का वोट बिहार में नहीं है, लेकिन लोग मोदी के नाम से वोट देते हैं, तो मोदी की जाति के कितने लोग बिहार में रहते हैं? आज वो आदमी जो मोदी को मतदान दे रहा है वो मोदी की जाति को देखकर मतदान नहीं कर रहा है.

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