जन सुराज पदयात्रा के प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) एक ओर जहां बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के नेताओं पर आक्रमण बोल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ चुनाव में लोगों से सही व्यक्ति को चुनने की निवेदन कर रहे हैं. पदयात्रा के दौरान सोमवार (10 जुलाई) को पीके ने बोला कि महागठबंधन बना था तब से लोगों के मन में आशंका है कि कानून व्यवस्था बिहार में बिगड़ेगी. कानून व्यवस्था की स्थिति महागठबंधन से पहले भी बहुत अच्छी नहीं थी. दूसरा वजह यह है कि जो यहां का गृह विभाग है वो मुख्यमंत्री के अधीन है. कहीं न कहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का फोकस शासन-प्रशासन व्यवस्था पर नहीं है.प्रशांत किशोर ने बोला कि सीएम अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण लाभ में पड़े हुए हैं. कभी भागकर इधर, तो कभी पलटकर उधर. जब आपका पूरा वक्त इस पर लगा हुआ है कि कौन सा राजनीतिक जोड़ बनाएं, किसको जोड़ें, किसको हटाएं, कैसे सरकार बचाएं, कैसे कुर्सी बचाएं, तो आपके पास वक्त कहां हैं कि आप कानून व्यवस्था देखिएगा.
प्रशांत किशोर ने बोला कि बिहार में कानून व्यवस्था बिगड़ने के लिए दूसरी कारण है
"शराबबंदी का कानून". सरकार द्वारा ये जो शराबबंदी का कानून लागू किया गया है इससे सिर्फ शराब की दुकानें बंद हुईं लेकिन घर-घर बिक रही है. पूरे प्रशासन की प्राथमिकता शराबबंदी हो गई है. शराबबंदी लागू करो, शराबबंदी हटाओ, शराबबंदी से कमाओ, शराबबंदी को छुपाओ. जब प्रशासन व्यवस्था पूरा शराब पर ही लगा रहेगा, तो सामान्य कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी ही.पीके ने आगे बोला कि आरजेडी जब भी किसी गठबंधन में रही है तो लोगों का अनुभव और जो लोगों का मानना है कि यह जब सरकार में रहती है तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ता है, ये चीज हम बिहार में देख रहे हैं कि पिछले चार-पांच महीनों से राज्य में हालात और बिगड़ रही है.