सरकार सर्वे करवा रही है तो करवाने दीजिए.
चुनावी रणनीतिकार ने नेताओं पर आक्रमण करते हुए बोला कि बिहार की सरकार जनता को उलझा रही है कि आधे लोग लग जाएं गणना के पक्ष में और आधे लोग लग जाएं गणना के विरोध में, इसके बाद कोई इसकी जिक्र कोई न करे कि बिहार में पढ़ाई हो रही है या नहीं, रोजगार मिल रहे हैं या नहीं? सब एक बार जाति में आग लगाकर अपनी रोटी सेंक कर फिर से मुख्यमंत्री बन जाएंगे.सर्वे और जनगणना में पीके ने जमीन-आसमान का फर्क बताया. बोला कि सर्वे की कोई लीगल एंटिटी नहीं है. राज्य सरकार ने इस बात को कभी स्पष्टता से नहीं बताया कि सर्वे का जो परिणाम आएगा उसकी मान्यता क्या होगी? उसकी मान्यता तो कुछ है नहीं. राज्य सरकार सर्वे कभी भी करा सकती है. मान लीजिए अगर लीगल एंटिटी मिल भी गई तो जातियों की गणना मात्र से लोगों की हालत सुधरेगी नहीं. बता दें कि प्रशांत किशोर बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं. शुक्रवार को वह समस्तीपुर के कसौर गांव में थे.