हम लोगों का आत्मसम्मान ही मर गया है.
बच्चा पैदा कीजिए और उसको फिर पेट काटकर बड़ा कीजिए और ट्रेन में बस में जानवरों की तरह ठूंसकर भेज दीजिए मजदूरी करने के लिए. पेट काटकर मजदूरी करेगा और इसी में जीवन बीत जाएगा.जन संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने आगे बोला कि जाति और धर्म के लिए वोट मत करिए अपने बच्चों के रोजगार के लिए वोट करिए.
जन सुराज में हमने ये ऐलान की है कि हमारा पहला संकल्प है कि बिहार से जितने लोग बाहर गए हैं, सबको साल भर के भीतर यहां रोजगार दिया जाएगा. लोग आकर हमसे पूछता है कि कैसे होगा?पीके ने बोला कि गुजरात, केरल, तमिलनाडु सहित दूसरे राज्यों में भी गरीबी है, लेकिन वहां के लोगों ने ये व्यवस्था कर ली है कि उन्हें 15 हजार की नौकरी के लिए अपना घर-परिवार और राज्य छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ता है. अगर ये बंदोबस्त गुजरात, केरल, तमिलनाडु सहित दूसरे राज्यों में बन सकती है, तो यहां क्यों नहीं बन सकती है? बिहार में भी ये बिल्कुल किया जा सकता है कि हर पंचायत में अगर 500 से 700 लोगों के लिए रोजगार की बंदोबस्त कर दें तो जो लोग बाहर हैं, वो वापस आ भी सकते हैं.