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केके पाठक सख्त लेकिन पढ़ाने वाले ही नहीं? सिर्फ एक से आठ वीं कक्षा तक के शिक्षकों के इतने पद खाली

संवाद 


बिहार में शिक्षा बंदोबस्त को लेकर आए दिन सरकार पर प्रश्न उठते रहते हैं. अब राज्य सरकार ने शिक्षा में गुणवत्ता को लेकर कड़क अधिकारी केके पाठक (KK Pathak) को जिम्मेवारी दी है. केके पाठक पिछले 1 जुलाई से सभी स्कूलों में सुचारू रूप से स्कूल चलाने, बच्चों को उचित शिक्षा देने के लिए कई तरह के नियमों में परिवर्तन भी कर चुके हैं. अब तो सरकारी स्कूल के समय में अड़चन आने वाले कोचिंग संस्थानों पर भी नकेल कसने की तैयारी शिक्षा विभाग ने प्रारंभ कर दी है. सबसे बड़ी बात है जो प्रश्न पहले से ही उठते रहे हैं कि बिहार के स्कूलों में शिक्षकों की जो कमी है उसे कैसे पूरा किया जाएगा?

अगर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की चाहत है कि सभी बच्चे प्रतिदिन स्कूल आएं तो उन्हें पढ़ाने वाला मास्टर कहां से लाएंगे? 

केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुकूल 1 से 8 के लिए बिहार के स्कूलों में अभी भी 30% से ज्यादा शिक्षकों की कमी है.दरअसल, एक से आठवीं कक्षा के लिए राज्यों में शिक्षकों की रिक्तियों के विषय में संसद सदस्य फूलो देवी नेताम द्वारा पूछे गए प्रश्न पर जो डेटा प्रस्तुत किया उसके अनुकूल बिहार में करीब 2 लाख शिक्षकों की कमी है. यह पद भरे नहीं गए हैं. आंकड़ों के अनुकूल पूरे बिहार में 2022-23 में कक्षा एक से लेकर आठ तक के पढ़ाने वाले शिक्षकों की स्वीकृत पद 5,92,541 है लेकिन इसमें 4,05,332 पद ही भरे गए हैं. अभी भी 1,87,209 शिक्षकों का पद खाली हैं. 2021-22 के आंकड़ों की बात करें तो उस समय 2,27,442 शिक्षकों के पद खाली थे. वहीं 2020-21 में 2,23,488 शिक्षकों के पद बिहार के स्कूलों में खाली रहे.अब प्रश्न उठता है कि जब इतने शिक्षकों की कमी है फिर कैसे शिक्षा में गुणवत्ता आ सकती है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने आदेश दिया है कि जो बच्चे सरकारी स्कूलों में 75% उपस्थिति दर्ज नहीं कराएंगे उन्हें बोर्ड की परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा. ऐसे में बच्चे स्कूल आ भी जाते हैं तो उन्हें पढ़ाने वाला कौन होगा?

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