करीब 25 सालों से अपनी सहमति से दोनों अलग रह रहे हैं.
पत्नी पर व्यभिचार का इल्जाम लगाते हुए पति ने 2000 में भी तलाक के लिए अर्जी दी थी, लेकिन अदालत में वह मौजूद न हो सका जिसके चलते याचिका खारिज कर दी गई. उसके बाद महिला के पति ने 2012 में भी अर्जी लगाई जिसको पारिवारिक अदालत (फैमिली कोर्ट) में खारिज कर दिया गया.बताया गया कि पति ने 1980 में शादी की थी. शादी के बाद 1985 में एक बेटा हुआ और फिर 1987 में एक बेटी हुई. शादी के बाद 17 वर्ष से अधिक वक्त तक सब कुछ ठीक था. उसके बाद धीरे-धीरे रिश्ते में खटास आने लगी. उसके बाद पति ने तलाक की अर्जी लगाई. अब निचली अदालत से लेकर पटना हाई कोर्ट ने इस अर्ज को खारिज कर दिया. इस केस में खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला भी दिया है.