राजीव रंजन ने बोला कि इस तरह की कोशिशों को भारत कभी स्वीकार नहीं करेगा.
भारत का संविधान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है. बिबेक देबराय चाटुकारिता कर रहे हैं. आर्थिक नीतियों पर वह विचार व्यक्त नहीं कर पाते कभी, लेकिन दूसरे क्षेत्रों के विषयों पर जिक्र करते हैं जिसकी खबर उनको नहीं है. बता दें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबराय ने अपने लेख में लिखा है कि हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है. 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित एक आयोग द्वारा एक रिपोर्ट आई थी, लेकिन यह आधा-अधूरा प्रयत्न था. कानून में सुधार के कई पहलुओं की तरह यहां और दूसरे बदलाव से कार्य नहीं चलेगा.यह भी बोला है कि हमें पहले सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए जैसा कि संविधान सभा की बहस में हुई थी. 2047 के लिए भारत को किस संविधान की आवश्यकता है? कुछ संशोधनों से कार्य नहीं चलेगा. हमें ड्रॉइंग बोर्ड पर वापस जाना चाहिए और पहले सिद्धांतों से प्रारंभ करना चाहिए, यह पूछना चाहिए कि प्रस्तावना में इन शब्दों का अब क्या मतलब है. समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना होगा.