अफ्रीकी देश मोरक्को में शुक्रवार देर रात आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. 6.8 तीव्रता वाले इस भूकंप की वजह से अब तक 2000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जबकि इससे अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं.
यहां के तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है. भूकंप के झटकों के बीच लोग बदहवास भागते नजर आए. भूकंप के झटकों से कई इमारतों की नींव हिल गई तो कुछ के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिली है.
मोरक्को में आए भूकंप में सबसे ज्यादा तबाही माराकेश में हुई है. यहां कई इमारतों के धराशायी होने के कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं. शहर की ऐतिहासिक इमारतें और मस्जिद हिलती नजर आईं. 1960 के बाद मोरक्को में ये सबसे बड़ा भूकंप आया है. ऊंची-ऊंची इमारतें पल भर में ध्वस्त हो गईं.
मोरक्को में जिसवक्त भूकंप आया, उस वक्त लोग शॉपिंग कॉम्पलेक्स और प्ले ग्राउंड में मौजूद थे. धरती हिलते ही लोगों के बीच भगदड़ मच गई. लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. डर के मारे लोगों ने पूरी रात सड़कों पर गुजारी. ऐसा भूचाल आया कि पूरे देश में कोहराम मच गया. मोरक्को में आए भूकंप के झटके पुर्तगाल और अल्जीरिया तक महसूस किए गए.
भूकंप के बाद हर तरफ मच गई चीख पुकार
भूकंप के बाद चंद सेकंड में ही हर तरफ चीख पुकार मच गई. हर कोई जिंदगी बचाने के लिए भागता नजर आया. जिसे जहां जगह मिला, वहीं जान बचाता हुआ नजर आया. भूकंप के झटकों के बाद पिछले कई घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. कंक्रीट के मलबे के नीचे फंसे लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है, लेकिन ज्यादातर मलबे से सिर्फ लाशें निकल रही हैं.
सड़क पर आए पहाड़ के चट्टान, बचाव अभियान हुआ धीमा
भूकंप के तुरंत बाद मोरक्को की सेना और इमरजेंसी सेवाएं नुकसान से प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन आसपास के पहाड़ी इलाकों की ओर जाने वाली सड़कें वाहनों की वजह से जाम हो गई हैं. इसके साथ-साथ पहाड़ की कई चट्टानें सड़क पर आ गई हैं, जिसकी वजह से इन इलाको में बचाव अभियान धीमा हो गया है.
ऐतिहासिक लाल दिवारों के कुछ हिस्से भी क्षतिग्रस्त
मोरक्को में आए इस विनाशकारी भूकंप का केंद्र एटलस पर्वत के पास स्थित इघिल नाम का एक गांव बताया जा रहा है. इघिल जो कि माराकेश शहर से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वहीं, भूकंप की गहराई जमीन से करीब 19 किलोमीटर नीचे बताई जा रही है. भूकंप की वजह से मोरक्को में स्थित लाल दिवारों के कुछ हिस्से भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं. UNESCO की ओर से इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है.