राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज झा (Manoj Jha) की तरफ से संसद में की गई एक टिप्पणी के विरुद्ध बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पटना में खूब जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और उनके बेटे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का बुधवार (27 सितंबर) को पुतला दहन किया.बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इल्जाम लगाया कि राज्यसभा में मनोज झा के भाषण ने राजपूत समुदाय को अपमानित किया. इस समुदाय को देश के कुछ हिस्सों में "ठाकुर" के नाम से भी जाना जाता है. पार्टी प्रवक्ता झा ने प्रसिद्ध दलित लेखक ओम प्रकाश वाल्मिकी द्वारा लिखित एक कविता "ठाकुर का कुआं" का पाठ किया था.राज्यसभा के सदस्य मनोज झा ने अपने भाषण में समाज के कमजोर वर्गों की महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए एक भावपूर्ण दलील दी थी. उनका यह भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. उन्होंने इल्जाम लगाया था कि 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते वक्त कमजोर वर्गों की महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में सीटें सुनिश्चित करने में असफल रहा.मनोज झा के भाषण के विरुद्ध बीजेपी के प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों में पूर्व मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू भी सम्मिलित थे.
उन्होंने इल्जाम लगाया कि तेजस्वी यादव ने अपने सांसद के माध्यम संसद के भीतर ठाकुरों का अपमान करने की साजिश रची.
नीरज बबलू ने चेतावनी दी कि अगर तेजस्वी और उनके सांसद माफी नहीं मांगते हैं तो राज्य की राजधानी की सड़कों पर दिख रहा लोगों का आक्रोश बिहार की हर पंचायत में फैल जाएगा.राजपूत समाज से आने वाले आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने झा की टिप्पणी को अस्वीकार करते हुए बोला, "मनोज झा ने अंदर के ठाकुर को मारने की बात बोली है. उन्हें पहले अपने अंदर के ब्राह्मण को मारना चाहिए. मैं अपनी जाति के उपनाम का इस्तेमाल नहीं करता. मैं उन्हें अपने नाम से झा हटाने की चुनौती देता हूं." चेतन, आनंद मोहन के बेटे हैं. बता दें कि आनंद मोहन एक आईएएस अधिकारी की कत्ल के लिए आजीवन कारावास की सजा काटने के बाद इस वर्ष की शुरुआत में रिहा हुए हैं.वहीं आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी और मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने बोला कि बीजेपी अनावश्यक विवाद पैदा कर रही है और चेतन आनंद जाल में फंस रहे हैं. उन्होंने बोला कि कविता में "ठाकुर" शब्द का उपयोग एक रूप के रूप में किया गया था और यह किसी समुदाय को लक्षित नहीं करता था और इसलिए इसे असंसदीय नहीं माना गया था.