आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव उस वक्त केंद्र में रेल मंत्री थे.
लालू यादव परिवार पर इल्जाम है कि उनके रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में की गई नियुक्तियों के बदले उन्हें गिफ्ट में जमीन दी गई या फिर कम दाम पर जमीन बेची गई. इस केस में सीबीआई निरंतर जांच-पड़ताल कर रही है. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलुओं की जांच ईडी कर रहा है.
इस केस में 3 जुलाई 2023 को सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट दाखिल की, जिसमें पहली बार तेजस्वी यादव को दोषी बनाया गया. तेजस्वी यादव का नाम भी दोषी के तौर पर जब सम्मिलित हुआ तो खूब जिक्रबाजी भी हुई थी. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बोला था कि इसकी आशंका तो तेजस्वी यादव को पहले से थी. तेजस्वी यादव काफी मजबूत व्यक्ति हैं. उन्होंने पहले ही बोला था कि यह सब होने वाला है. इस तरह डराने-धमकाने से कुछ नहीं होने वाला है.जमीन के बदले नौकरी के मामले में निरंतर बीजेपी आक्रमण करती है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी यह बोल चुके हैं कि रेलवे की नौकरी के बदले जमीन मामले में संपत्ति जब्त करने की प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को बताना चाहिए कि आखिर वे करीब 100 करोड़ की संपत्ति के मालिक कैसे बने? इस मामले में चुप्पी साधने के बजाय नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव से बिंदुवार जवाब मांगना चाहिए. जेडीयू लालू परिवार पर ईडी और सीबीआई की कार्रवाई का विरोध केवल दिखावे के लिए कर रहा है.