द्वापर युग में श्रीहरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था. कान्हा के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है.श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था. पंडित पंकज झा शास्त्री बताते है कि इस साल जन्माष्टमी बहुत खास है क्योंकि इस बार कान्हा का जन्मदिवस बुधवार को ही मनाया जाएगा।कुछ विद्वान कहते हैं, मां यशोदा के भाग्य में संतान प्राप्ति का योग नहीं था परंतु उनके हजारों वर्षों की तपस्या के बाद भगवान श्री हरि विष्णु ने उन्हें खुद की माता होने का सौभाग्य दिया था। वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण मां देवकी के गर्भ से पैदा हुए थे लेकिन उनकी बाल्य अवस्था मां यशोदा की गोद में व्यतित हुई।
भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी योगेश्वर श्रीकृष्ण के प्राकट्य के साथ-साथ उनकी योग शक्ति योगमाया के प्राकट्य का भी दिन है, पंडित पंकज झा शास्त्री कहते है कि लीला पुरुषोत्तम की समस्त लीलाएं जन कल्याण के लिए होती हैं और आद्यशक्ति योगमाया उन लीलाओं का संपादन करती हैं. देवी योगमाया का अवतार श्री कृष्ण के अवतार के साथ ही होता है. देवकी के गर्भ में आने से पूर्व ही भगवान कृष्ण, योगमाया से कहते हैं- हे देवी जब मैं वसुदेव-देवकी के पुत्र के रूप में जन्म लूंगा, उस समय आप भी नंद-यशोदा की पुत्री के रूप में जन्म लेना.” कहा जाता है कि देवी योगमाया का जन्म, भगवान कृष्ण से पहले हुआ था।
इस बार जन्माष्टमी मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार 06 सितम्बर,बुधबार को मनाई जायेगी।
06 सितम्बर को अष्टमी तिथि 08 बजकर 06 मिनट उपरांत आरम्भ होगा जो अगले दिन रात्रि 07:59 तक रहेगा।
रोहिणी नक्षत्र 06 सितम्बर को दिन के 02:25 उपरांत होगा,जो अगले दिन 02:52 तक रहेगा।
चन्द्रमा वृष राशि मे पुरी रात भ्रमण करेगा।
जन्माष्टमी ब्रत 06 सितम्बर को होगा जबकि रोहिणीमता अनुसार श्री कृष्णाष्टमी ब्रत सात सितम्बर,गुरुबार को मनाया जायेगा।