बाद की सभी केंद्र सरकारों ने यही नीति जारी रखी.
सुशील मोदी ने बोला कि सेंसस एक्ट के अनुकूल देश भर में जातीय जनगणना नहीं करायी जा सकती, लेकिन राज्य सरकारें जातीय सर्वेक्षण करा सकती हैं. बिहार में बीजेपी की साझेदारी वाली सरकार ने जातीय सर्वे कराने का जो फैसला किया, वह संवैधानिक था, इसीलिए कोई अदालत उस पर रोक नहीं लगा सकी. बिहार में जातीय सर्वे का कार्य जब पूरा हो चुका है, तब सरकार बताए कि इसकी रिपोर्ट कब जारी होगी? विपक्षी गठबंधन में जातीय सर्वे पर कांग्रेस की नीयत साफ नहीं और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में ऐसा सर्वे कराने के खिलाफ हैं. राहुल गांधी पहले अपने गठबंधन में एक राय कायम करें.बीजेपी नेता ने बोला कि ब्रिटिश सरकार की 1931 की जातीय जनगणना के अनुकूल देश में 3500 जातियां थीं. 2011 में जब जनगणना के साथ जातीय-सामाजिक सर्वे कराया गया, तब 46 लाख जातियां दर्ज करा दी गईं. बता दे कि जातियों के पिछले राष्ट्रीय सर्वे के आंकड़े इतने भ्रामक, त्रुटिपूर्ण और अविश्वनीय थे कि उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया.