दरअसल, JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और फिर नीतीश मंत्रिमंडल में सम्मिलित अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के लिए योग्य बताया. मंत्री चौधरी ने तो यहां तक बोल दिया कि बिहार को छोड़ दीजिए देश के कई राज्यों के लोग नीतीश कुमार को पीएम देखना चाहते हैं.उन्होंने बोला कि यदि सर्वे कराया जाए तो बहुत लोग चाहेंगे कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनें.
चौधरी ने हालांकि यह भी बोला कि जो राजनीतिक परिदृश्य होगा उसके अनुकूल आगे फैसला लिया जाएगा.
इससे पहले RJD के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को 'दुल्हा ' बताकर नेता बताने का प्रयास कर चुके हैं.
इधर, देश भर चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर बोलते हैं कि नीतीश कुमार की इस गठबंधन में भी सीमित भूमिका है. उन्होंने स्पष्ट रूप से बोला कि अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं, जबकि पहली मीटिंग पटना में हुई थी, तब यह माना जा रहा था कि नीतीश कुमार इसके सूत्रधार होंगे और उन्हें संयोजक बना दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
बेंगलुरु में भी नीतीश कुमार के संयोजक बनाने को लेकर कोई जिक्र नहीं हुई.
उन्होंने बोला कि तीसरी बैठक में नीतीश कुमार एजेंडा लेकर गए थे कि जातीय जनगणना को I.N.D.I.A. मुख्य मुद्दा बनाए, लेकिन गठबंधन के सहयोगी दलों ने इसे मुख्य मुद्दे के तौर पर नहीं स्वीकार किया. प्रशांत किशोर भी स्वीकार करते हैं कि जब सीट शेयरिंग की बात होगी, मुद्दे की बात होगी, तब समझ में आएगा.
राजनीति के जानकार भी बोलते हैं कि I.N.D.I.A. गंठबंधन के भीतर मतभिन्नता को अभी नकारा नहीं जा सकता है. जी20 की बैठक के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बुलाए भोज में गठबंधन में सम्मिलित दलों के कई राज्यों के मुख्यमंत्री आए, लेकिन कांग्रेस और RJD इसको लेकर नाराज रही.इधर, RJD के नेता और प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामचरित मानस को लेकर विवादास्पद बयान दे रहे हैं. ये बात JDU के गले नहीं उतर रही है. सीट बंटवारे को लेकर भी बिहार में गठबंधन में सम्मिलित दलों का अलग अलग दावा है.
उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में RJD ने एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी थी, जबकि विधानसभा में वह सबसे बड़ा दल है. इधर, बिहार की राजनीति के जानकार अजय कुमार बोलते हैं कि I.N.D.I.A. गठबंधन में अभी बहुत पेंच है, अभी कुछ भी बोलना जल्दबाजी है. उन्होंने याद दिलाते हुए बोला कि अभी तक सीट बंटवारे को लेकर जिक्र तक नहीं हुई है, जबकि हर बैठक के पहले इसका दावा किया जाता है. उन्होंने बोला कि इसमें कोई शक नहीं कि सभी लोग भले चाह रहे हों कि भाजपा को सत्ता से हटाया जाए, लेकिन सभी दलों की अपनी मजबूरी है.