पूर्व सहकारिता मंत्री की तरफ से दिए गए इस बयान के बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है.
पूर्व सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने बोला कि सांसद ने औरंगाबाद में चुनाव के अंतिम दिन पैसा बंटवाकर मुझे 2 हजार वोट से हरवाया. वहीं गया के गुरूआ विधानसभा से दूसरा उम्मीदवार को खड़ा कर राजीव रंजन को हरवाया. ऐसी स्थिति में यदि लोकसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवारी मिलती है तो मैं उनके विरोध में कार्य करूंगा.पूर्व सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह का सांसद के घर से काफी बेहतर संबंध रहे थे. उन्हें सांसद सुशील सिंह के पिता पूर्व सांसद राम नरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू अपना बड़ा पुत्र मानते थे. रामाधार सिंह भी सांसद के 3 भाइयों को अपना छोटा भाई मानते थे और किसी भी विषम परिस्थिति में पहले अपनी कुर्बानी देने तक को तैयार थे, लेकिन जब पूर्व सांसद लूटन बाबू राजनीति में सुशील सिंह को आगे करना प्रारंभ किया तो इनके संबंध बिगड़ने लगे. रामधारी सिंह ने अपना अलग रास्ता अख्तियार कर भारतीय जनता पार्टी का झंडा जिले में बुलंद किया और इस पार्टी के बड़े लीडर बन गए. हालांकि बीजेपी उम्मीदवार सुशील सिंह ने चुनाव जीता लेकिन दोनों एक दूसरे के विरोधी होकर एक ही दल में अपनी-अपनी राजनीति प्रारंभ की. तब से लेकर आज तक पूर्व सहकारिता मंत्री जब भी मौका मिलता सांसद का विरोध करने में कोई कोई कसर नही छोड़ते. पिछले एक वर्ष से पूर्व सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह लंबे वक्त से अस्वस्थ चल रहे थे, लेकिन उपचार से ठीक होने के बाद औरंगाबाद लौटने के बाद एक बार फिर हमलावर हो गए.