उन्होंने बोला,"हम सरकार से सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली जानने का प्रयास करेंगे.
हमें संदेह है कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के दबाव में कार्य किया है जिनकी तुष्टिकरण की राजनीति जगजाहिर है."
बीजेपी नेता ने बोला कि अगर नीतीश और लालू को वास्तव में अतिपिछड़ों की परवाह है तो उन्हें सत्ता पर अपना कब्जा छोड़ देना चाहिए और अति पिछड़े वर्ग के लोगों को बागडोर सौंप देनी चाहिए. सर्वेक्षण के अनुकूल राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ में मुस्लिम आबादी 17.70 प्रतिशत है.आरजेडी के कई नेताओं का बोलना है कि सर्वेक्षण के अनुकूल 2011 की जनगणना के बाद से प्रतिशत के मामले में मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी एक प्रतिशत से भी कम रही है. यह बीजेपी के दावों के विपरीत है कि नेपाल और बांग्लादेश के साथ खुली सीमाओं वाले जिले अनियंत्रित घुसपैठ के वजह से जनसांख्यिकीय परिवर्तन से गुजर रहे थे. बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सोमवार को अपने बहुप्रतीक्षित जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किए जिसमें पता चला कि ओबीसी और ईबीसी राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हिस्सा हैं.आंकड़ों के अनुसार ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग बनकर उभरा है जिसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.13 प्रतिशत है. सर्वेक्षण में यह भी बोला गया है कि ओबीसी समूह के अंतर्गत आने वाले यादव समुदाय की आबादी सबसे अधिक 14.27 प्रतिशत है. दलित जिन्हें अनुसूचित जाति भी बोला जाता है, राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत हैं जिसमें अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है. "अनारक्षित" श्रेणी से संबंधित लोग जो 1990 के दशक की मंडल लहर तक सियासत पर हावी रहने वाली उच्च जातियों को दर्शाता है, कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत है.