पुत्र की रक्षा के लिए किया जाने वाला मिथिलांचल का प्रसिद्ध महा पर्व जीवित्पुत्रिका या जितिया इस बार 06 अक्टूबर,शुक्रवार को मनाया जायेगा,यानी 05 अक्टूबर गुरवार को व्रती के लिए नहाय खाय का दिन होगा,रात्रियंते व्रती के लिए विशेष भोजन ओठगन रात्रि 03 :07 से 04 :23 तक उत्तम होगा,06 अक्टूबर,शुक्रवार को व्रती पुरा दिन - रात निर्जला ब्रत करेगी और 07 अक्टूबर शनिबार को दिन के 10 बजकर 32 मिनट उपरांत व्रती के लिए पारण होगा। जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की रक्षा और कुशलता के लिए निर्जला व्रत करती हैं। जीमूतवाहन के नाम पर ही जीवित्पुत्रिका व्रत का नाम पड़ा है। यह ब्रत बहुत कठिन होता है, इसमें पहले दिन नहाए खाय,दूसरे दिन महिलाएं अन्न जल का त्याग कर निर्जला व्रत रखती हैं और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है. जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि मे किया जाता है। सप्तमी तिथि मे ब्रती नहाय खाय करती है। स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत करने से वंश वृद्धि का वरदान मिलता है. इस व्रत के प्रभाव से संतान पर कभी कोई विपदा नहीं आने की संभावना प्रबल होती है।
मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार 05 अक्टूबर सगुरुबार को सप्तमी तिथि दिन के 09 बजकर 08 मिनट उपरांत होगा।शुक्रबार को सप्तमी तिथि दिन के 09:35 तक रहेगा उपरांत अष्टमी तिथि आरम्भ होगा।अष्टमी तिथि समापन 07 अक्टूबर,शनि बार को दिन के 10:32 पर होगा।