बताया जाता है कि ये सभी प्राथमिक शिक्षक के तौर पर अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए हैं.
बोला जा रहा कि इनमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के हैं. इसके अलावा झारखंड, हरियाणा समेत अन्य राज्यों के भी अभ्यर्थी नियुक्त हुए हैं.अनारक्षित वर्ग में राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों को भी शिक्षक नियुक्ति में आवेदन देने की छूट दी गई थी. प्राथमिक शिक्षक के रूप में कुल 72 हजार चयनित हुए हैं, इनमें 14 हजार दूसरे राज्यों के हैं.
जीतन राम मांझी इस भर्ती को लेकर जांच-पड़ताल की मांग कर चुके हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा था, "बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति मामले की उच्चस्तरीय जांच की जरूरत है. आरक्षण की अनदेखी कर यह नियुक्ति रेलवे के “लैंड फॉर जॉब” के तर्ज पर “मनी फॉर जॉब” स्कीम के तहत की गई है. “पैसा दो सरकारी नौकरी लो” घोटाले की उच्च स्तरीय जांच-पड़ताल होनी चाहिए. बिहार सरकार ने युवाओं का बेड़ा गर्क कर दिया है." जीतन राम मांझी ने एक्स के माध्यम यह भी बोला था कि सूबे के बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति घोटाले में “जॉब फॉर मनी” स्कैंडल को लेकर यदि ईडी की एंट्री होगी तो घमंडिया गठबंधन के लोग बोलेंगे चुनाव है, तो छापेमारी हो रही है.