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यूपी में कुछ सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है नीतीश की पार्टी, JDU नेता का ये बड़ा वर्णन


संवाद 


लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. 'इंडिया' गठबंधन में सम्मिलित नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी हो सकता है कुछ सीटों से यूपी में भी चुनाव लड़े. सोमवार (30 अक्टूबर) को एबीपी न्यूज़ के एक प्रोग्राम में जेडीयू नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद (JDU Rajiv Ranjan Prasad) ने बड़ा बयान दिया. बोला कि उत्तर प्रदेश में 80 संसदीय क्षेत्र हैं तो सभी लोगों (महागठबंधन में सम्मिलित पार्टियां) से मिलकर यह तय किया जाएगा कि क्या करना है. कुछ सीटों पर अगर बात बनी तो जेडीयू उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ सकती है.राजीव रंजन ने बोला, "कोई भी पार्टी अपने राष्ट्रीय विस्तार के लिए किसी भी राज्य में अपने संगठन का विस्तार करती है. मैं असम का प्रभारी भी हूं और वहां के जेडीयू कार्यकर्ता भी कुछ सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. तो यह एक संगठन विस्तार की प्रक्रिया है इसमें उत्तर प्रदेश भी सम्मिलित है. उत्तर प्रदेश में कुछ भी तय होगा तो वहां की सबसे प्रभावशाली पार्टी समाजवादी पार्टी है जो इंडिया गठबंधन में सम्मिलित है. 

कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है. सभी राज्यों में उसका असर है.

 उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस का असर है. तो यह सभी से मिलकर तय किया जाएगा."जेडीयू नेता ने प्रोग्राम में ही आगे बोला कि महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों को इकट्ठा करने में जुट गए थे. इसका असर हुआ कि पटना से मुंबई तक बैठक हुई. इसमें वैसी पार्टी भी एकजुट हो गई जिनकी सहमति नहीं बन रही थी. कुछ विसंगतिया थीं, लेकिन सभी लोग साथ हो गए और इसका प्रभाव भी दिखा कि बीजेपी को 'इंडिया' नाम से डर लगने लगा. उन्होंने बोला कि जहां तक बात नीतीश कुमार के संयोजक बनने की है तो उन्होंने संयोजक बनने की इच्छा कभी नहीं जताई है.इधर, राजीव रंजन के बयान पर बीजेपी ने भी आक्रमण किया है. बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने बोला कि जेडीयू प्रवक्ता के बयान से उनका दर्द झलक रहा है. राजीव रंजन बोलते हैं नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में संयोजक नहीं बनना चाहते हैं, यह हास्यास्पद है. कांग्रेस नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं करती है. कांग्रेस के मुखर विरोध के वजह से वे संयोजक नहीं बने. कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को बढ़ते देखना नहीं चाहती है. इसका उदाहरण है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में जेडीयू कांग्रेस के पास गई, लेकिन कांग्रेस ने भाव नहीं दिया तो जेडीयू अकेले मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ रही है. प्रभाकर मिश्रा ने बोला कि घमंडिया गठबंधन के नेताओं के अक्ल पर पर्दा पड़ा हुआ है. उन्हें वास्तविकता नहीं दिख रही है, लेकिन राजीव रंजन का दर्द झलकना भी जायज है क्योंकि उनके नेता से दिल्ली दूर हो गई और उनका ख्वाब चकनाचूर हो गया.

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