नीतीश कुमार इन दिनों काफी ज्यादा एक्टिव दिख रहे हैं. एक ओर विभाग के कार्यालयों में औचक निरीक्षण कर रहे हैं तो दूसरी तरफ निरंतर जेडीयू संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं. इससे पहले जेडीयू से सभी विधायक, एमपी और विधान पार्षदों के साथ बैठक कर चुके हैं. सभी से प्रदेश का हाल चाल और क्षेत्र में लोगों के मूड को जाना. इस क्रम में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भी वार्तालाप हुई.
सभी को सरकार के कामों को आम जनों तक पहुंचाने के लिए प्रचार-प्रसार का जिम्मा भी सौंपा गया.
वहीं, नीतीश कुमार हमेशा से मुस्लिम वैट बैंक में सेंधमारी की कोशिश में रहते हैं. कुछ दिन पहले ही मजार पर चादर चढ़ाने भी गए थे. लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए यह बैठक अहम मानी जा रही है.बता दें कि जातीय सर्वे के परिणाम आने के बाद बिहार की राजनीति गरमाई हुई है. इस मुद्दे पर सभी आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं. साथ ही सभी पार्टियां इसके परिणाम के अनुसार पार्टी रणनीति बनाने में जुट गई है. बीजेपी बिहार में ओबीसी पर खास फोकस करने को लेकर रणनीति बनाने में जुटी हुई है. वहीं, जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुकूल 81.99 यानी 82% बिहार में हिंदू हैं जबकि 17.70 यानी लगभग 18% मुस्लिम की आबादी है. इनमें सबसे अधिक अति पिछड़ा वर्ग की संख्या 36.01% है, जबकि दूसरे नंबर पर पिछड़ा वर्ग 27.12% है. अनुसूचित जाति 19.65 यानी 20 % के करीब है. सामान्य 15.1% और अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत है. अकेले यादव जाति की संख्या 14.26% है यानी यादव और मुस्लिम दोनों को जोड़ दिया जाए तो बिहार की 32% जनसंख्या है. राष्ट्रीय जनता दल यानी लालू प्रसाद यादव के साथ है. यानी अकेले दम पर लालू यादव सभी पार्टियों से काफी ज्यादा मजबूत दिख रहे हैं.