बता दें कि 2 अक्टूबर 2023 को जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की गई थी.
इस रिपोर्ट के बाद निरंतर उसके आंकड़ों को लेकर प्रश्न उठाए जा रहे हैं. आंकड़े में जातीय गणना की सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट में बिहार के लोगों की औसत आय, उनका शैक्षणिक स्तर आदि के बारे में बताया गया है. उधर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का इल्जाम है कि बिहार सरकार ने कुछ खास जातियों की संख्या को बढ़ाकर दिखाया और अन्य जातियों की संख्या को कम कर दिया है ताकि राजनीतिक लाभ हो सके.दरअसल, बीजेपी जातीय गणना के आंकड़ों को फर्जी बता रही है. बीजेपी का इल्जाम है कि घर-घर जाकर सर्वे कराने का सरकार का दावा खोखला और झूठा है. इस बीच बीते रविवार को मुजफ्फरपुर में बीजेपी की रैली में अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बोला था कि जातीय गणना के आंकड़ों में यादवों और मुसलमानों की संख्या बढ़ाकर दिखाई गई है. इसके बाद से इस पर सियासत और तेज हो गई.