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बड़बोलेपन के वजह से नीतीश कुमार के 'सुसाशन बाबू' इमेज को लगा धक्का, क्या जेडीयू को होगा घाटा?


संवाद 


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पहचान सियासी दुनिया में 'सुशासन बाबू' की रही है. इसमें कोई शक नहीं कि उनके मुख्यमंत्री काल में बिहार में हुई विकास की जिक्र देश में हुई और यहां की कई विकास योजनाओं को अन्य राज्यों ने भी अपनाया, लेकिन, हाल के दिनों में नीतीश कुमार की जिक्र देश और दुनिया में उनके बयानों और उनके कई गतिविधियों को लेकर हो रही है. इन बयानों को लेकर कई नेता उनको मानसिक कमजोर तक बताने लगे हैं तो कई उन्हें मेमोरी लॉस मुख्यमंत्री की संज्ञा दे रहे हैं. यह दीगर बात है कि उनकी पार्टी के नेता उनके बचाव में हैं.दरअसल, बिहार विधानसभा के संपन्न हुए शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रजनन दर कम करने को बताने के क्रम में जिस प्रकार उन्होंने पति और पत्नी के रिश्ते को लेकर सदन में वर्णन दिया और उस मुद्दे को लेकर जिस प्रकार बीजेपी आक्रामक हुई उससे जेडीयू को भी बैकफुट पर आना पड़ा. हालांकि, मुख्यमंत्री को भी इस गलती का एहसास हुआ और उन्होंने दूसरे दिन ही सार्वजनिक तौर पर न केवल माफी मांगी बल्कि खुद के बयान की बुराई भी की. 

बोला जा रहा है कि शायद पहली बार किसी नेता ने अपने बयान की बुराई की है.

 सियासत के जानकार अजय कुमार भी बोलते हैं कि जिस प्रकार से नीतीश के बयान  को लेकर हाय तौबा मची, उससे उनकी छवि को धक्का लगा है, इसे कोई नकार नहीं सकता है. उन्होंने साफ लहजे में बोला कि विधानसभा में जिस तरह नीतीश ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपमानित किया उसे भी लेकर जेडीयू के सियासी रणनीति को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने आगे बोला कि नीतीश कुमार के लिए आधी आबादी एक ताकत रही है. नीतीश कुमार के दफ्तर में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण मिला. इसका फल यह हुआ कि पिछले कई चुनावों में मतदान के क्रम में महिलाओं की लंबी कतार देखी गई है और इसका लाभ जेडीयू को मिला.राजनीति जानकार ने स्पष्ट बोला कि दलित, महादलित मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए जेडीयू के नेता अक्सर बोलते रहे हैं कि नीतीश कुमार ने एक दलित वर्ग से आने वाले को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया. नीतीश के 'मेरी मूर्खता थी कि मैने मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया' के बाद शायद अब जेडीयू के नेता यह बयान नहीं दे सकेंगे. जेडीयू के नेता और बिहार के मंत्री श्रवण कुमार बोलते हैं कि बिहार में अब विकास की सियासत प्रारंभ हो गई है. अब बिहार में तरक्की की बात होती है तरक्की की सियासत चालू है. बिहार में अब सिर्फ आपसी प्रेम भाईचारा और सौहार्द की बातें चलेगी. उन्होंने यह भी बोला कि यदि जीतन राम मांझी सही दिशा में जाते तो उनकी हालत ऐसी नहीं होती. जिसको राज का ताज पहनाया गया, वे अपनी गरिमा को बचा नहीं पाए.इधर, बीजेपी के प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह बोलते हैं कि बीजेपी पहले ही बोल चुकी है कि नीतीश कुमार मेमोरी लॉस मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने बोला कि हाल के दिनों में गौर से देखे तो उन्हें कई बातें याद नहीं रहती है. वे बताते हैं कि जब वे सदन में पूर्व सीएम मांझी के विरुद्ध बोल रहे थे तब उनकी पार्टी के ही नेता उन्हें बैठाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे बिना पूरी बात रखे नही बैठे. उन्होंने यह भी माना कि नीतीश की छवि नाप तौल कर बोलने वाले नेता की रही है, लेकिन जब से वे आरजेडी के साथ गए हैं उनके अंदाज बदल गए हैं. बहरहाल, इसमें 2 मत नहीं कि नीतीश के हाल के बयानों से उनकी छवि को नुकसान हुआ है, लेकिन अब देखने वाली बात होगी जेडीयू अपने नेता की सुशासन वाली साख या सियासी आभा कैसे फिर से लौटा पाती है.

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