नीतीश कुमार की बिगड़ी हुई भाषा और व्यवस्था उनके व्यक्तित्व के पतन का वजह है.
वे इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं? यह बोलना गलत नहीं होगा कि महागठबंधन के सिरमौर माने जाने वाला व्यक्ति जिसकी आकांक्षा देश का प्रधानमंत्री बनना हो वो महज एक मुख्यमंत्री का पद भी ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं.नेता प्रतिपक्ष ने बोला कि जिस प्रकार से सदन में मुख्यमंत्री ने असंवैधानिक लहजे में महिलाओं के प्रति खुलकर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए उन्हें अपमानित करने का कार्य किया है. उससे पूरा बिहार ही नहीं देश और दुनियां के लोग आहत हैं. जिस प्रकार से उनके द्वारा एक दलित पूर्व मुख्यमंत्री की आवाज को दबाया गया, उनके विरुद्ध अपशब्द बोले गए उससे साबित होता है कि वो वास्तव में अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं.बीजेपी नेता ने बोला कि सदन लोकतंत्र का मंदिर है और इसमें पवित्र संविधान की अवहेलना करना तथा उसको तार-तार करना लोकतंत्र की जननी बिहार के लिए गहरा कलंक साबित हुआ है. विजय कुमार सिन्हा ने मांग की है कि सदन के क्रम में मुख्यमंत्री के व्यवहारों व अमर्यादित शब्दों की गंभीरता से समीक्षा करते हुए उन्हें खुद कुर्सी खाली कर देनी चाहिए.