सरकारी निर्देश के मुताबिक आवाज ध्वनि सीमा के अंदर ही रखनी होगी.
चिट्ठी में इस बात का जिक्र है कि धार्मिक जुलूस के लिए जारी होने लाइसेंस में यह सम्मिलित किया जाएगा कि माइक्रोफोन और पब्लिक एड्रेस सिस्टम का शोर उस क्षेत्र के लिए निर्धारित मानक स्तर से अधिक न हों. पत्र में बोला गया है कि जुलूस या शोभायात्राओं में भाग ले रहे कम से कम 20-25 लोगों से अंडरटेकिंग लिया जाए कि जुलूस में कानून-व्यवस्था बनी रहेगी. उन 20-25 लोगों का नाम, पता और आधार कार्ड का नंबर भी लिया जाए. जुलूस में उत्तेजक, भड़काउ गाने, नारेबाजी और प्रतिबंधित हथियार पूरी तरह से बैन रहेंगे.
गृह विभाग की तरफ से जारी की गई चिट्ठी में बोला गया है कि त्योहार के अवसर पर धार्मिक जुलूस में सम्मिलित लोगों द्वारा लाउडस्पीकर या माइक्रोफोन से काफी ऊंची आवाज में नारे लगाने या डीजे बजाने या परंपरागत हथियारों के प्रदर्शन से सांप्रदायिक तनाव पैदा होता है और इससे कानून-व्यवस्था की गंभीर हालत उत्पन्न होती है. चिट्ठी में लिखा गया है कि त्योहारों पर पैदा होने वाले तनाव और अन्य घटनाओं पर नियंत्रण करने की दिशा में धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने के लिए बिहार पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 66(2) और बिहार पुलिस हस्तक 1978 के नियम 23 में प्रावधन है.