विधानसभा में मंगलवार के लिए राजकीय विधेयक पेश करने का प्रोग्राम पूर्व से तय था,
उसे बुधवार के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है.जातीय गणना की सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट में बिहार के लोगों की औसत आय, उनका शैक्षणिक स्तर, कितने लोग नौकरी से अपना जीवन यापन करते हैं इत्यादि की सूचना दी जाएगी. प्रवासी बिहारियों के बारे में भी जानकारी दी जा सकती है. 2 अक्टूबर 2023 को जातीय गणना का आंकड़ा सरकार ने जो जारी किया था उसमें सिर्फ वर्ग और धर्म विशेष के लोगों की संख्या के बारे में बताया गया था. बाकी के आंकड़े बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की बात सरकार की ओर से कही गई थी.बताया जाता है कि मंगलवार को दूसरे दिन का सत्र हंगामेदार रहने के आसार हैं. बीजेपी जातीय गणना के आंकड़ों को फर्जी बता रही है. बीजेपी का इल्जाम है कि घर-घर जाकर सर्वे कराने का सरकार का दावा खोखला और झूठा है. रविवार को मुजफ्फरपुर में बीजेपी की रैली में अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बोला था कि जातीय गणना के आंकड़ों में यादवों और मुसलमानों की संख्या बढ़ाकर दिखाई गई है. बीजेपी का इल्जाम है कि बिहार सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए कुछ विशेष जातियों की संख्या को बढ़ाकर दिखाया और अन्य जातियों की संख्या कम कर दिखाई है.