उन्होंने बोला कि देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का कार्य कराया गया है.
जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.अर्थात सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है. सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा. इन सभी वर्गों के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है.नीतीश कुमार ने एक्स के माध्यम बोला कि हम लोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग साल 2010 से ही कर रहे हैं. इसके लिए 24 नवंबर, 2012 को पटना के गांधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी. हमारी मांग पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितंबर, 2013 में प्रकाशित हुई थी लेकिन उस वक्त भी तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया.
सीएम ने बोला कि मई, 2017 में भी हम लोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. आज कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. मेरा आग्रह है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार बिहार को जल्द विशेष राज्य का दर्जा दे.