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बिहार में आरक्षण की पिच पर प्रारंभ हुआ 'खेल' तो कौन मारेगा चौका-छक्का? हैरान करने वाली है Expert की सलाह


संवाद 


बिहार में जाति आधारित गणना से जुड़ी रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है. आर्थिक स्थिति तक बताई गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने इसका पूरा समर्थन किया है. समर्थन की बात बीजेपी के नेता भी बोलते रहे हैं, लेकिन आंकड़ों को लेकर इल्जाम लगा रहे हैं कि वह सही नहीं है. वहीं दूसरी तरफ इस रिपोर्ट को सदन में पेश करने के बाद आरक्षण से जुड़ा बिल भी पास हो गया. 50 से बढ़ाकर इसे 65% कर दिया गया है. 10% ईडब्ल्यूएस को जोड़ दिया जाए तो यह 75% हो जाएगा. अब सबसे बड़ा प्रश्न है कि यह लागू हो जाता है तो किसे राजनीतिक लाभ मिलेगा? आरक्षण की पिच पर कौन चौका-छक्का मारेगा? इसको लेकर एबीपी न्यूज़ ने राजनीतिक जानकार की सलाह ली है.दरअसल, आरक्षण का मुद्दा आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में बहुत मायने रखने वाला है. 

इस मुद्दे के तहत कोई मुंह के बल गिर सकता है तो किसी की बल्ले बल्ले हो सकती है.

 राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण कुमार पांडेय ने बोला कि निश्चित तौर पर आरक्षण बढ़ाए जाने का फायदा नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को होगा क्योंकि ये दोनों पिछड़े की राजनीति करते आए हैं. अभी जो जातीय गणना हुई उसके बाद जो आरक्षण बढ़ाए गए उसमें पिछड़ों को विशेष फायदा हो रहा है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव की सिर्फ बात करें तो इतना आसान भी नहीं है.अरुण कुमार पांडेय बोलते हैं कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे होते हैं और अभी बिहार में पहले की तरह बैकवर्ड-फॉरवर्ड की सियासत नहीं हो रही है. अब बिहार में पिछड़ा बनाम पिछड़ा की सियासत चल रही है. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार दोनों पिछड़ी जाति से आते हैं. पहले भी दोनों की लड़ाई में नीतीश कुमार को फायदा हुआ है. यह अलग बात है कि वह दोनों मिल गए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी भी बिहार में पिछड़ों को ही आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है. ऐसे में यह बोलना कि बीजेपी बहुत ज्यादा कमजोर हो जाएगी ऐसा नहीं हो सकता है. हालांकि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन बिहार में मजबूत स्थिति में दिख सकता है और कांटे की टक्कर हो सकती है.राजनीतिक जानकार ने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी तकरीबन 6 महीने के आसपास समय है. ऐसे में बीजेपी बिहार में आरक्षण के मुद्दे को पीछे करके अपना कोई दूसरा मुद्दा उठाने का प्रयत्न करेगी, लेकिन लोकसभा चुनाव में आरक्षण के मुद्दे का असर जरूर दिखने वाला है. उन्होंने बोला कि यही वजह है कि कांग्रेस ने जातीय गणना और आरक्षण बढ़ाने को लेकर पूरा समर्थन किया है क्योंकि अगड़ी जातियों का वोट कांग्रेस से खिसक गया है.आगे अरुण पांडेय ने बोला कि बीजेपी हिंदुत्व की सियासत कर रही है. ऐसे में हिंदू की जातियों को बांटने पर ही चुनाव जीता जा सकता है तो कांग्रेस ने भी इसका पुरजोर समर्थन किया है. उन्होंने बताया कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी को खोने के लिए कुछ नहीं है तो निश्चित तौर पर इसका फायदा उन्हें अवश्य मिलेगा. नीतीश कुमार को अपनी सीट बचानी है. जेडीयू की ज्यादा से ज्यादा सीट पर कब्जा जमाने की तैयारी बीजेपी कर रही है, लेकिन अभी जिस तरह की राजनीति बिहार में हो रही है वैसे में बीजेपी की स्थिति बहुत अच्छी भी नहीं दिख रही है.बता दें कि बिहार में आरक्षण के नए स्वरूप के तहत अत्यंत पिछड़ा वर्ग को पहले 18 प्रतिशत आरक्षण मिलता था जो अब 25 प्रतिशत हो कर दिया गया है. पिछड़ा वर्ग को पहले 12 मिलता था तो अब 18 प्रतिशत कर दिया गया है. अनुसूचित जाति को 16 की जगह 20 प्रतिशत मिलेगा. और वहीं बता दे कि अनुसूचित जनजाति को 1 के बदले अब 2 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ईडब्ल्यूएस को पहले की तरह 10% आरक्षण मिलता रहेगा.

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