20 फरवरी 2015 को मांझी को त्यागपत्र देना पड़ा था.
त्यागपत्र के बाद जीतन राम मांझी ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा नाम से पार्टी बनाई थी. 2019 में वह फिर नीतीश कुमार के साथ हो गए. 2020 के एनडीए की सरकार में सम्मिलित रहे. नीतीश कुमार ने अपने कोटे से जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन को मंत्री बनाया था. 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार एनडीए से अलग हुए तो जीतन राम मांझी भी नीतीश कुमार के साथ रहे, लेकिन कुछ महीने बाद से ही नीतीश और मांझी में मतभेद चलने लगा. अंत में 13 जून 2023 को संतोष सुमन ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और जीतन राम मांझी ने 19 जून को राज्यपाल के पास अपने 4 विधायकों के साथ महागठबंधन से अलग होने का पत्र सौंप दिया.संतोष सुमन और जीतन राम मांझी ने उस समय बोला था कि हम पर पार्टी को जेडीयू में विलय करने का दबाव बनाया जा रहा है, जो हम नहीं कर सकते हैं. हालांकि उस समय नीतीश कुमार ने यह बोला था कि यह लोग इंडिया गठबंधन की बातों को इधर-उधर कर रहे थे इसलिए हमने ही बोला कि विलय करो या बाहर हो जाओ.नीतीश का साथ छोड़ने वाले बड़े नेताओं में उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के अलावा उनके बेहद करीबी माने जाने वाले जेडीयू के एमएलसी और प्रवक्ता रणवीर नंदन भी सम्मिलित हैं. उन्होंने 27 सितंबर 2023 को जेडीयू से त्यागपत्र दे दिया था. उस समय रणवीर नंदन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर तानाशाही करने का इल्जाम लगाया था.
वहीं 2005 में चिनारी विधानसभा से जेडीयू के विधायक रहे और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ललन पासवान ने भी 12 अक्टूबर को नीतीश कुमार को टाटा बाय-बाय कर दिया. पार्टी में वैश्य समाज पर पकड़ रखने वाले पार्टी के प्रदेश महासचिव राजू गुप्ता ने भी इसी साल सितंबर में नीतीश कुमार का साथ छोड़ दिया था.