शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के फैसले पर कैबिनेट में 120000 शिक्षकों की बहाली के लिए मंजूरी मिली. उस समय शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार थे, लेकिन जब शिक्षकों की बहाली की बात आई तो शिक्षा में सुधार भी होना अति जरूरी था. इसको देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर शिक्षा विभाग की कमान कड़क आईएएस केके पाठक को सौंपा गया. केके पाठक 8 जून 2023 को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव नियुक्त किए गए.
शिक्षा विभाग में केके पाठक के आते ही तहलका मच गया. निरंतर शिक्षा में सुधार के लिए कई तरह के आदेश वो देते रहे. सबसे पहले 1 जुलाई को उन्होंने सभी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की रिपोर्ट को हर दिन शाम में डायरेक्ट भेजने का आदेश दिया.
इसके बाद स्कूल में कौन शिक्षक कितने बजे आता है इस पर ध्यान दिया.
उन्होंने हाजिरी के लिए सभी शिक्षकों को प्रिंसिपल को वीडियो कॉल करने का आदेश दिया. इतना ही नहीं बल्कि समय पर मास्टर साहब स्कूल पहुंचें इसके लिए सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और खुद केके पाठक स्कूलों का निरीक्षण करते रहे. जहां शिक्षकों की लापरवाही दिखी वहां त्वरित कार्रवाई की गई. वेतन तक रोकने का भी आदेश दिया.शिक्षकों को छुट्टी लेने पर उन्होंने कड़े आदेश दिए. बिना आवेदन किसी को छुट्टी नहीं मिलेगी. इतना ही नहीं उन्होंने आदेश दिया कि व्हाट्सएप पर आवेदन नहीं लिए जाएंगे. उन्हें लिखित आवेदन स्कूल में जाकर जमा करना होगा. केके पाठक ने शिक्षक ही नहीं छात्रों पर भी शिकंजा कसा. जो छात्र सिर्फ एडमिशन कराकर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कर रहे थे और स्कूल की योजनाओं का लाभ ले रहे थे उनका नाम स्कूल से काटने का आदेश दिया.केके पाठक ने यह भी आदेश दिया कि सुबह 9:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक मास्टर साहब स्कूल में रहेंगे. इस आदेश का पालन बिहार के स्कूलों में किया भी जा रहा है. मास्टर और शिक्षकों के अलावा शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों पर भी उन्होंने नकेल कसा है. हाल ही में उन्होंने आदेश दिया है कि रविवार को भी प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर के सभी शिक्षा पदाधिकारी मुख्यालय पहुंचेंगे और पूरे सप्ताह का ब्योरा देंगे. इस पर अमल भी किया जा रहा है.
वहीं शिक्षा में सुधार लाने के लिए केके पाठक ने स्कूल में कई छुट्टियों को भी रद्द करने का कार्य किया. कई छुट्टी जैसे रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और कई ऐसे त्यौहार जिस दिन छुट्टी रहती थी उसमें कटौती हुई लेकिन काफी विवाद हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई नेता आमने-सामने हुए. इसके बाद आदेश रद्द करना पड़ गया.