बिहार में टेंपेरेचर में गिरावट आने के साथ कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) रविवार को 'खराब' श्रेणी में रहा जबकि भागलपुर में 324 एक्यूआई के साथ हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी दर्ज की गई. विशेषज्ञों के अनुकूल हवा की गति और टेंपेरेचर कम (Bihar Weather) होने की वजह से रविवार को कुछ शहरों में हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में आ गई और इसके और भी खराब होने का अनुमान है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की बुलेटिन के मुताबिक 30 दिसंबर 2023 को शाम 4 बजे दर्ज आंकड़ों के मुताबिक बिहार में भागलपुर 386 एक्यूआई के साथ सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा. सीपीसीबी द्वारा देश के 238 शहरों के दैनिक 'वायु गुणवत्ता सूचकांक' जारी किया जाता है.सीपीसीबी का बोलना है कि ‘बहुत खराब’ वायु-गुणवत्ता लंबे वक्त तक रहने पर श्वास संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है. एक्यूआई 8 प्रदूषकों यथा पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोन से कम के कण), पीएम 10 (10 माइक्रोन से कम के कण), नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिया और शीशा को ध्यान में रखते हुए वायु गुणवत्ता का आकलन है. बिहार के 6 जिले जहां एक्यूआई (30 दिसंबर, 2023 शाम 4 बजे) खराब श्रेणी में पाया गया उनमें आरा (292), सासाराम (285), सहरसा (262), अररिया (259), राजगीर (245) और पटना (208) सम्मिलित हैं. इन शहरों का एक्यूआई 'खराब' (201-300) स्तर तक गिर गया है.शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई को 'अच्छा' (न्यूनतम प्रभाव), 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक' (संवेदनशील लोगों को सांस लेने में मामूली परेशानी), 101 से 200 के बीच 'मध्यम' (फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग वाले लोगों को सांस लेने में परेशानी), 201 से 300 'खराब' (लंबे समय तक संपर्क में रहने पर अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ), 301 से 400 'बहुत खराब' (लंबे समय तक संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी बीमारी), और 401 से 500 'गंभीर' (स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है और बीमार लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है), मौजूदा बीमारियाँ) माना जाता है।बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार शुक्ला ने राज्य में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बारे में रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बोला, 'यह सच है कि राज्य के कुछ शहरों में वायु गुणवत्ता खराब हो गई है.
यह जलवायु बदलाव के कारण है.
हवा की गुणवत्ता में यह गिरावट मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी हवाओं के वजह से है जो पराली जलाने की वजह से प्रदूषक लेकर आ रही हैं, साथ ही शांत हवा की स्थिति और टेंपेरेचर में गिरावट भी है.'देवेंद्र कुमार ने बोला, 'जैसे-जैसे टेंपेरेचर गिरता है, नमी की मात्रा बढ़ने के वजह से ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाएं भारी हो जाती हैं. इससे पृथ्वी की सतह के करीब प्रदूषकों को जमा करने की हवाओं की क्षमता भी बढ़ जाती है. वर्षा के रूप में मौसम की स्थिति निश्चित रूप से तत्काल कुछ राहत लाएगी.'इस बीच, रविवार को राज्य में कई जगहों पर न्यूनतम टेंपेरेचर 12 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया. सबसे कम टेंपेरेचर 9.8 डिग्री सेल्सियस पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में दर्ज किया गया, इसके बाद बक्सर (10.4 डिग्री सेल्सियस), सहरसा (10.5 डिग्री सेल्सियस), सीवान के जीरादेई (10.6 डिग्री सेल्सियस), कैमूर (11.7 डिग्री सेल्सियस) पटना (11.9 डिग्री सेल्सियस) और अररिया में फारबिसगंज (12.0 डिग्री सेल्सियस) में टेंपेरेचर दर्ज किया गया.