हाल ही में पटना में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट के विषय में पूछने पर शाहनवाज हुसैन ने बोला कि यह समिट बड़ा था, लेकिन जितना बिहार को इससे लाभ उठाना चाहिए था, वह सरकार नहीं उठा सकी. उन्होंने बिहार सरकार पर ताना कसते हुए बोला कि उद्योग का क्षेत्र आंकड़ों की बाजीगरी से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है, इसको सरजमीं पर उतारना पड़ता है. उन्होंने स्पष्ट बोला कि इतना बड़ा समिट था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस समिट में कितना वक्त दे पाए, यह देखने वाली बात थी.
वह समिट में गए लेकिन सार्वजनिक रूप से संबोधन नहीं किया.
आखिर इसका क्या संदेश जाएगा.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हुसैन ने यह भी बोला कि उद्योग और अपराध साथ-साथ नहीं चल सकता. उन्होंने साफ लहजे में बोला कि पटना मे इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर लोगों की आंखो मे धूल झोंकने का कार्य किया गया. जब उस बैठक के दरम्यान मुख्यमंत्री ने एक शब्द भी नहीं बोला, कैसे बिहार मे लोग उद्योग लगाएंगे.उद्योग विभाग मंत्रालय आज आरजेडी के पास है, जिसका इतिहास उद्योगपतियों को पता है. कैसे कोई विश्वास करेगा? हुसैन ने स्पष्ट तौर पर बोला कि बिहार को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है, लेकिन सरकार ही रूठी रही है. उन्होंने बोला कि केंद्र सरकार की मौजूदा योजनाओं के तहत बिहार में आधारभूत संरचनाएं पूरी तरह तैयार हैं. अब आवश्यकता है केवल दृढ़तापूर्ण औद्योगिक विकास की.पूर्व मंत्री ने बोला कि बिना औद्योगिक विकास के बिना पलायन रोकने की कल्पना नहीं की जा सकती. औद्योगिक विकास से बड़े रोजगार के अवसर खुलेंगे. उन्होंने यह भी बोला कि बिहार बहुत पीछे चला गया है, इसलिए छोटे उद्योगों से बहुत कुछ हासिल नहीं किया जा सकता. आज देश में लगे उद्योगों की संख्या जहां 2 लाख 46 हजार से ज्यादा है, वहीं, बिहार में उद्योगों की संख्या मात्र 3429 है. अगर उद्योग में पूंजी निवेश की बात की जाए तो देश में औसतन प्रति कारखाने 15 करोड़ रुपए का निवेश है तो बिहार में यह निवेश प्रति कारखाना मात्र 4 करोड़ रूपए है.
जेडीयू में उभरे विवाद के प्रश्न पर बीजेपी नेता ने बोला कि जेडीयू कभी अकेले सरकार नहीं बना पाई है. नीतीश कुमार के हाल के बयानों और उनकी पलटी मारने की छवि से उनके सियासत विश्वसनीयता कम हुई है. लोकसभा चुनाव के पहले जेडीयू में अभी से ही खलबली है और चुनाव के पहले टूट निश्चित है. बीजेपी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता देश के लोगों के बीच ही नहीं विदेशों में भी बढ़ी है. 'इंडिया' गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बोला कि इस गठबंधन में सम्मिलित अधिकांश दल या तो अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं या भ्रष्टाचार के दोषी हैं. ऐसे में ये गठबंधन बनाने में जुटे हैं, लेकिन नेतृत्व तय नहीं कर पा रहे हैं.