बता दें कि यूपी और बिहार में यादव समाज चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
मोहन यादव की सियासत की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी है. मोहन यादव लंबे अरसे से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं. उनके राजनीतिक सफर पर गौर किया जाए तो वह 1982 में उज्जैन के माधव विज्ञान महाविद्यालय के सह सचिव चुने गए थे और 1984 में छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे. उसके बाद उन्होंने 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उज्जैन के नगर मंत्री की कमान संभाली और 1986 में विभाग प्रमुख बने.
इतना ही नहीं 1988 में अभाविप के प्रदेश मंत्री बने और राष्ट्रीय प्रोग्राम समिति सदस्य भी बने. वह 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के मंत्री बनाए गए और 1991-92 राष्ट्रीय मंत्री चुने गए. यादव 1993 से 1995 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उज्जैन नगर के शहर खंड कार्यवाह रहे और 1996 में खंड कार्यवाह तथा नगर कार्यवाह की जिम्मेवारी का निर्वहन किया. वह 1997 में बीजेपी की प्रदेश समिति में सदस्य बने, 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया.मोहन यादव 2004 से 2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे. इतना ही नहीं 2011 से 2013 तक मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रहे.यादव 2013 में पहली बार विधायक बने. पार्टी ने 2018 में फिर उन पर यकीन जताया और वह चुनाव जीते और 2023 में एक बार फिर निर्वाचित हुए और सीएम की कुर्सी तक आ गए.(राजनीतिक पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. हर दल अपने अपने हिसाब से रणनीति बनाने में जुटा है. चुनाव की तारीखों के एलान में करीब ढाई महीने का समय बचा है . ऐसे में abp न्यूज़ के लिए सी वोटर ने किया है 2024 का पहला ओपिनियन पोल. सर्वे में सभी 543 लोकसभा सीटों पर 13 हजार 115 लोगों से बात की गई है. सर्वे 15 दिसंबर से 21 दिसंबर के बीच किया गया है. इसमें मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5 फीसदी है.)