सदन के भीतर भी उन्होंने माफी मांगी थी.
सदन में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी पर गुस्सा गए थे. तुम-तड़ाक जैसी भाषा का इस्तेमाल किया था. बोला था कि इसे कोई सेंस है क्या, यह मेरी मुखर्ता थी कि इसको मैंने मुख्यमंत्री बनाया. इस बयान के बाद सदन में एनडीए के नेताओं ने धरना भी दिया था. इसके साथ ही तेलंगाना की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बयान पर आक्रमण किया था और बोला था बिहार के मुख्यमंत्री ने सदन में शर्मनाक काम किया है. उन्होंने दलित समाज से आने वाले और मुख्यमंत्री रह चुके नेता को अपमानित किया है.मुख्यमंत्री का बयान 2023 में अजीबो-गरीब तो रहा ही इसके साथ ही उन्होंने मीडिया से भी दूरी बना ली है. मीडिया पर भी वो गुस्सा करते रहे हैं. 19 अक्टूबर को मोतिहारी में राष्ट्रपति के प्रोग्राम के दौरान उन्होंने बीजेपी के नेताओं की तरफ इशारा करते हुए बोला था कि हम आपको कभी नहीं छोड़ेंगे. जब इस बात की चर्चा मीडिया में हुई तो तीसरे दिन ही वह मीडियाकर्मियों पर गुस्सा गए थे. यहां तक बोल दिया था कि आज वो पत्रकारों से आखरी बार बात कर रहे हैं. उन्होंने बोला था कि उनकी बातों को ठीक से नहीं छापा जाता है. नीतीश कुमार अक्सर यह कहते रहते हैं कि आप लोगों (मीडिया) पर कब्जा कर लिया गया है.14 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पत्रकारों ने बात करना चाहा और उन्हें आवाज दी गई कि 'सर, सर सर काहे नाराज हैं, यह सुनते ही नीतीश कुमार मीडियाकर्मियों के सामने हाथ जोड़कर झुक गए थे. इसके बाद वह कार में बैठकर चले गए थे. अभी बीते मंगलवार (12 दिसंबर) को नीतीश कुमार मोतिहारी के केसरिया आए थे. यहां कैफेटेरिया का उद्घाटन किया था लेकिन मीडिया से दूरी बनाकर रखी. कोई वर्णन नहीं दिया.