राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार भी रिवाज नहीं बदला है और राज बदलने की तैयारी है। अब तक आए रुझानों के मुताबिक भाजपा को सूबे में रुझानों में बहुमत मिल चुका है। वह 111 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 70 सीटों पर ही आगे है।
इस तरह अशोक गहलोत के नेतृत्व में 5 साल सरकार चलाने वाली कांग्रेस को अब बेदखल होना पड़ेगा। इन रुझानों के साथ ही राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर कयास तेज हो गए हैं।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे राजस्थान में बड़ा फेस रही हैं और वह एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की रेस में हैं। हालांकि उनके अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, सतीश पूनिया और सीपी जोशी जैसे नेता भी रेस में हैं।
वहीं आम लोगों में काफी चर्चा बाबा बालकनाथ योगी की भी है। बाबा बालकनाथ तिजारा सीट से बड़ी जीत हासिल करने की ओर हैं। वह मौजूदा सांसद भी हैं, जिन्हें भाजपा ने विधायकी भी लड़ा दिया। यादव बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले बाबा बालकनाथ योगी को सीएम बनाने की चर्चाएं इसलिए भी जोरों पर हैं क्योंकि इससे भाजपा हिंदुत्व और ओबीसी दोनों कार्ड चल सकती है। उत्तर प्रदेश, बिहार में आबादी के अनुपात में जातीय आरक्षण और जनगणना की चर्चा जोरों पर है। भाजपा को लगता है कि इससे विपक्ष ओबीसी समुदाय की गोलबंदी करने में सफल हो सकता है। ऐसे में राजस्थान में बाबा बालकनाथ योगी को कमान देकर भाजपा एक साथ कई समीकरण साध सकती है।
यूपी में योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाकर भाजपा पहले ही सफलता का स्वाद चख चुकी है। ऐसे में राजस्थान में भी यदि वही फॉर्मूला लागू हो जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी।
अलवर के रहने वाले बाबा बालकनाथ योगी का प्रभाव क्षेत्र भी बड़ा है। वह हरियाणा के रोहतक में स्थित नाथ संप्रदाय के मठ के महंत भी हैं। योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी लोगों में शुमार किए जाते हैं।
सीएम योगी तो उनके नामांकन में भी गए थे और समर्थन में प्रचार भी किया था। पूर्वी राजस्थान में उनकी काफी लोकप्रियता है, जहां उनकी तिजारा सीट भी पड़ती है। हरियाणा से सटे इस इलाके को राजस्थान के अहीरवाल बेल्ट के तौर पर भी जाना जाता है।
हरियाणा, यूपी, बिहार तक असर होने की उम्मीद
वहीं इसी से सटे हरियाणा के सीमांत इलाके में भी यादवों की अच्छी खासी आबादी है। महेंद्रगढ़, रिवाड़ी, गुरुग्राम में यादवों की अच्छी संख्या है। ऐसे में बाबा बालकनाथ के जरिए उन्हें भी भाजपा साधना चाहेगी।
इसके अलावा यूपी, बिहार जैसे राज्यों में भी उसे ओबीसी और खासतौर पर यादवों को साधने में मदद मिलेगी। 2019 में भाजपा ने उन्हें अलवर से लोकसभा का टिकट दिया था और उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता भंवर जितेंद्र सिंह को मात दी थी।