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मात्र ₹1लेते हैं ट्यूशन फीस, अब तक हजारों छात्रों को बना चुके हैं इंजीनियर

अनूप नारायण सिंह 

बुलंद हौसले हो तो बाधा पर विजय प्राप्त कर कठिन से कठिन परिस्थितियों में इंसान मिसाल बन जाता है इसी के उदाहरण है बिहार के सासाराम जिले के रहने वाले और अब गणित गुरु के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर युवा गणितज्ञ आरके श्रीवास्तव। बचपन में ही अपने पिता को खो चुके आरके श्रीवास्तव का जीवन संघर्षों के बीच बीता खुद आईआईटियन नहीं बन पाने का दर्द भी रहा जीवन यापन के लिए ऑटो रिक्शा तक चलाया पर कुछ नया करने की जुनून ने इन्हें गणित गुरु के रूप में स्थापित कर दिया आर के श्रीवास्तव खुद एक गरीब परिवार से थे इसलिए उन्हें ज्ञात थी कि अधिक बच्चे होनहार होते हैं परंतु वह कई कारणों से आगे नहीं बढ़ पाते हैं इसलिए उन्होंने उन्हें राह दिखाने का निश्चय किया। अर्थात अगर वर्ष 2004 मैं वह IIT की प्रवेश परीक्षा पास कर लेते तो शायद आज यह कार्य नहीं कर पाते ।आर के सर ने वर्ष 2009 में गणित के विषय में मास्टर की डिग्री हासिल की , इसके साथ ही साथ बच्चों को पढ़ाना भी जारी रखा , आर.के सर की कोचिंग की क्लास 2008 में ही शुरू हो गई थी । अर्थात वह इस समय 10वीं और 12वीं के बच्चों को प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाते थे और मात्र एक रुपए गुरु दक्षिणा लेते थे ।शुरुआत में उनकी इस कोचिंग क्लास में आसपास के बच्चे पढ़ने आते थे परंतु समय के साथ-साथ दूर-दूर से कई बच्चे उनकी इस एक रुपए वाली गुरु दक्षिणा की क्लासेस में शिक्षा लेने आने लगे।यूं तो वह बताते हैं कि मेरे पास दूर-दूर से आने वाले बच्चों के लिए रहने और खाने का इंतजाम नहीं था परंतु अगर कोई बच्चा काफी करीब परिवार से रहता तो मैं उसकी अवश्य मदद करता था ।अब तक बिहार के आर के सर अपनी ₹1 की गुरु दक्षिणा वाली क्लासेस में विद्यार्थियों से ₹1 की फीस लेकर अपनी शिक्षा के बल पर हजारों विद्यार्थियों को इंजीनियर कॉलेज में प्रवेश दिलवा चुके हैं।आर के सर अपनी एक रुपए की दक्षिणा वाले क्लासेस के लिए इनका नाम वर्ल्‍ड बुक आफ रिकार्ड्स लंदन में दर्ज किया गया है इन्हे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है अर्थात इन्हें इनके उच्च कार्य के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है । आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि गरीबों का एकमात्र विकल्प सफलता शिक्षा के बल पर ही सामाजिक क्रांति लाई जा सकती है सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं हो सकता है आप आर्थिक रूप से कमजोर हो सकते हैं पर मानसिक रूप से आपको काफी मजबूत होना पड़ेगा अगर आपने ठान लिया कि आपको सफल होना है तो कठिन से कठिन परिश्रम करके आप अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। बिहार के बाहर जाकर पढ़ने और पढ़ने वाले बिहारी शिक्षकों और छात्रों के बारे में उन्होंने कहा कि अगर सभी लोग बिहार में ही रहे तो बिहार देश के शिक्षा का हब होगा बिहार के बच्चों को कोटा नहीं जाना पड़ेगा आर्थिक दोहन रखेगा इसके लिए दोनों तरफ से पहल होनी चाहिए। 

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