लोग बताते हैं यह चावल मोकरी गांव के कुछ खास खेतों में ही यह होता है.
पूरे वर्ष में जिस किसान के खेत में चावल होता है उस खेत में सिर्फ एक पैदावार हो पाता है.ग्रामीण बताते हैं मोकरी में 6 से 7 की संख्या में ऐसे कुएं हैं जिसमें वर्षा का पानी पहुंचता है. बारिश के दिनों में पहाड़ी क्षेत्र में हुआ पानी अंदर ही अंदर रिसकर प्रवेश करता है और फिर कुएं का पानी अपने आप बाहर निकल कर खेतों तक पहुंच जाता है. इससे पूरा खेत बारिश के मौसम में लबालब भर जाता है. धान की बालियां खेतों में महीनों डूबी रहती हैं, लेकिन इनका रंग ना तो काला होता है और ना ही गुणवत्ता पर कोई प्रभाव पड़ता है. यह भी खूबियां है कि बारिश के समय में कैमूर पहाड़ी की जड़ी बूटी के रिसाव का पानी भी खेतों तक पहुंचता है. बताया जाता है कि इस चावल की कीमत अभी 5 से 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल है.मोकरी के किसान बैरिस्टर सिंह, बबन सिंह, अभिमन्यु सिंह और अवनीश पटेल ने बताया कि यहां का गोविंद भोग चावल सुगंधित है जो पिछले कई वर्षों से रामलाल को भोग के लिए जाता है. यहां से चावल देश विदेश भी जाता है. 22 जनवरी को मंदिर का उद्घाटन होगा तो वहां इसी चावल से रामलाल का भोग लगेगा. 22 जनवरी से पहले चावल पहुंच जाएगा.