अब क्या हुआ, दूसरे साइड से प्रेशर आया.
बीजेपी नहीं चाहती कि इस देश का एक्सरे हो. एक्सरे से डरते हैं. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. पता लग जाएगा कि कितने ओबीसी हैं, कितने दलित हैं, कितने आदिवासी हैं. बीजेपी ये नहीं चाहती. बीजेपी चाहती है कि आपका इधर ध्यान जाए उधर ध्यान जाए. आगे पीछे ध्यान जाता जाए. मगर सामाजिक न्याय पर गलती से भी आपका ध्यान न जाए. नीतीश जी बीच में फंस गए. सामाजिक न्याय देने की जिम्मेवारी बिहार में हमारे गठबंधन की है. नीतीश जी की यहां कोई आवश्यकता नहीं है. यहां पर हम अपना कार्य कर लेंगे. मिलकर हमारा गठबंधन यहां पर जो करना है कर देगा."गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने 28 जनवरी को महागठबंधन से अलग होकर बिहार में फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. इस निर्णय पर नीतीश कुमार ने बोला था कि उनकी पार्टी के लोगों को लगा था कि फिर से साथ में आ जाना चाहिए इसलिए ये निर्णय लिया गया. बता दें कि नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने की घटना को इंडिया गठबंधन के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.