इसके बाद 13 जनवरी को 94 हजार से अधिक शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया.
बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से दूसरे चरण के 94 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति के बाद राज्य में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात में जबरदस्त सुधार हुआ है. बताया जाता है कि प्राथमिक विद्यालय में अब यह अनुपात 35 छात्रों पर 1 शिक्षक हो गया है. यह राष्ट्रीय विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात के बराबर माना जा रहा है. पहले चरण की विद्यालय अध्यापक की नियुक्ति के बाद यह अनुपात 38 छात्रों पर 1 शिक्षक था. 2 लाख शिक्षकों की नियुक्ति से पहले यह अनुपात 45 छात्र पर एक शिक्षक का था, जबकि 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद यह अनुपात 65 छात्रों पर 1 शिक्षक का था.इसी तरह माध्यमिक स्कूलों में भी विद्यार्थी और शिक्षकों के अनुपात में सुधार हुआ है. आंकड़ों पर गौर करें तो दूसरे चरण की नियुक्ति के बाद 36 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक हो गया है. पहले यह अनुपात 88 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का था. सबसे बड़ी बात है कि शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित अन्य प्रदेशों के अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया और कामयाबी भी पाई है. इसे लेकर प्रदेश में सियासत भी गर्म हुई. इधर, सरकार ने स्कूलों के आधारभूत संरचना के सुधार पर भी नजर डाली है. शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में बुनियादी संरचना की मजबूती के लिए चालू वित्तीय साल में करीब 900 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए . यह वार्षिक बजट के प्रावधान से अलग है, इसमें 200 करोड़ से अधिक की राशि केवल बेंच-डेस्क खरीदने के लिए निर्धारित की गई है. अगले वित्तीय साल 2024-25 में एक हजार करोड़ से अधिक राशि खर्च करने की योजना है. विभाग की मंशा है कि सरकारी पाठशालाओं में एक भी बच्चा फर्श पर न बैठे.प्रदेश के लोग भी मानते हैं कि सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचा में सुधार हो और शिक्षकों की मौजूदगी बनी रहे तो कोई दो मत नहीं कि प्रदेश में शैक्षणिक माहौल में काफी सुधार होगा. इधर, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी बोलते हैं बिहार में काफी कार्य हो रहा है. दूसरे प्रदेशों के बेरोजगार भी यहां नौकरी करने आ रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट बोला कि सरकार निरंतर लोगों को नौकरी देने का कार्य कर रही है.