अब इन लोगों को राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम में स्थान नहीं मिली है.
पूर्व सांसद दसई चौधरी, पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी, सांसद आरपी मंडल, सांसद विजय मांझी को भी नीतीश की राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिली. ललन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते ये लोग राष्ट्रीय पदाधिकारी थे. यूपी के पूर्व सांसद धनंजय सिंह ललन सिंह के काफी ज्यादा करीबी माने जाते हैं. ललन की टीम में वह राष्ट्रीय महासचिव थे. नीतीश की राष्ट्रीय टीम से उनको भी बाहर कर दिया गया. नीतीश को मिलाकर 22 लोगों की टीम बनी है, जिसमें एक उपाध्यक्ष, एक सलाहकार, एक कोषाध्यक्ष, 11 महासचिव, 6 सचिव और एक प्रवक्ता को सम्मिलित किया गया है.राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. आलोक कुमार सुमन को फिर से राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया है. पूर्व विधायक राजीव रंजन को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है. के.सी त्यागी को राजनीतिक सलाहकार के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया गया है. पहले भी इसी पद पर थे. संजय झा, राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर, अली अशरफ फातमी, मगंनी लाल मंडल, आफाक अहमद, भगवान सिंह कुशवाहा, कहकशा परवीन, रामसेवक सिंह, कपिल हरिश्चंद्र, इंजीनियर सुनील और राज सिंह मान को राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेवारी मिली है.
राजीव रंजन प्रसाद, विद्या सागर निषाद, अनूप पटेल, दयानंद राय संजय कुमार और मोहम्मद निसार को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेवारी मिली है. ललन सिंह के समय पार्टी के 22 राष्ट्रीय महासचिव थे. नीतीश ने 11 महासचिव बनाए हैं. पहले के मुकाबले इस बार टीम छोटी है. जातीय समीकरण का भी ध्यान रखा गया है.