दरअसल, नीतीश कुमार में दिल्ली में हुई जेडीयू की बैठक में कांग्रेस को निशाने पर लिया था. सीएम नीतीश ने बोला था कि कांग्रेस उनके द्वारा किए गए कामों की जिक्र नहीं करती है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बोला था कि बीजेपी उनके कार्य को अपने कार्य में जोड़ लेती है. इससे पहले भी विधानसभा चुनावों के क्रम में नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर ताना किया था. उन्होंने बोला था कि कांग्रेस का ध्यान इंडिया गठबंधन से ज्यादा विधानसभा चुनावों पर है. जेडीयू की बैठक में नीतीश कुमार का कांग्रेस पर आक्रमण 'प्रेशर पॉलिटिक्स' की तरह देखा गया.नीतीश कुमार को संयोजक बनाने के कई वजह हो सकते हैं. पहला ये कि उन्होंने विपक्षी नेताओं को इकट्ठा करने का कार्य किया.
बीते वर्ष में नीतीश कुमार ने देश के अलग-अलग राज्यों का दौरा किया था
और विपक्षी नेताओं/सीएम से भेंट की थी. नीतीश ने बीजेपी के विरुद्ध विपक्ष को इकट्ठा करने में अहम भूमिका निभाई. दूसरा ये कि नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के सूत्रधार के तौर पर देखा जाता है. उन्होंने विपक्ष को साथ चुनाव लड़ने का सुझाव दिया था. जून 2023 में 15 दलों को एक मंच पर उन्होंने साथ लाया था.
दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से पीएम फेस के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे किया था. इसका समर्थन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया था. सूत्रों के अनुसार, इसके बाद से नीतीश कुमार अप्रसन्न बताए जा रहे थे. क्योंकि न तो उन्हें संयोजक बनाया गया और न ही पीएम का मुखौटा घोषित किया गया. हालांकि, कई अवसर पर नीतीश कुमार ने बोला कि वो कोई पद नहीं चाहते हैं.