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मकर संक्रांति महापर्व इस बार 15 जनवरी सोमवार को मनाया जायेगा, दरअसल मकर संक्रांति का पर्व हिंदू कैलेंडर के आधार पर मनाते हैं, जिसमें सूर्य के गोचर की गणना का ध्यान रखा जाता है. स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी ने बताया कि सूर्य का गोचर मकर राशि में होता है, उस समय मकर संक्रांति होती है. उसे सूर्य की मकर संक्रांति कहते हैं. मकर संक्राती को देश मे अलग अलग नामो से जाना जाता है। मिथिला मे इस पर्व को तिलासंक्राती के नाम से जाना जाता है। सूर्य देव हर राशि में करीब एक माह तक विराजमान होते हैं. मकर शनि देव की राशि है. इसमें जब सूर्य देव आते हैं तो वे दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है. सूर्य के उत्तरायण होने से धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती है, दिन बड़े होने लगते हैं और रात छोटी । इसका बड़ा कारण यह है कि सूर्य देव 15 जनवरी को रात्रि 02:54 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
सूर्य के उत्तरायण होने पर खरमास भी समाप्त होंगे और सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. इस बार की मकर संक्रांति बहुत खास मानी जा रही है, इस दिन सालों बाद कुछ दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है। पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार मकर संक्रांति पर 77 सालों के बाद वरीयान योग और रवि योग का संयोग बन रहा है. इस दिन बुध और मंगल भी एक ही राशि धनु में विराजमान रहेंगे, इन ग्रहों की युति राजनीति, लेखन में कार्य कर रहे लोगों के लिए बहुत लाभदायक होती है।
सोमवार - पांच साल बाद मकर संक्रांति सोमवार के दिन पड़ रही है. ऐसे में सूर्य संग शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।