आज (13 फरवरी) माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। इसे तिलकुंद चतुर्थी और वरद चतुर्थी कहा जाता है। मंगलवार को ये तिथि होने से इसे अंगारक चतुर्थी भी कहते हैं। इसके साथ ही आज कुंभ संक्रांति भी है, सूर्य ग्रह का कुंभ राशि में प्रवेश हो रहा है। जानिए मंगलवार, चतुर्थी और कुंभ संक्रांति के योग में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अंगारक चतुर्थी पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने के साथ ही मंगल ग्रह की भात पूजा भी जरूर करनी चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में मंगल से जुड़े दोष हैं, उन्हें आज शिवलिंग का पके हुए चावल यानी भात से श्रृंगार करना चाहिए। भगवान लाल फूल, लाल गुलाल चढ़ाएं। मसूर की दाल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, जनेऊ, चंदन आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें।
कुंभ संक्रांति का महत्व भी एक पर्व की तरह ही है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। नदी में स्नान करें और नदी किनारे ही दान-पुण्य करें। सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। जरूरतमंद लोगों को सूर्य से संबंधित चीजें जैसे गुड़, तांबे के बर्तन का दान कर सकते हैं। सूर्य देव की पूजा में सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करते रहना चाहिए।
आज तिलकुंद चतुर्थी है। इस व्रत में भगवान गणेश की विशेष पूजा करें। पूजा में तिल से बनी मिठाई का भोग जरूर करें। गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठ चढ़ानी चाहिए और मंत्र श्री गणेशाय नम: का जप करना चाहिए।
मंगलवार को हनुमान जी का सिंदूर और चमेली के तेल से चोला चढ़ाना चाहिए। हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी मंत्र का जप करें। आप चाहें तो श्रीराम चरित मानस का भी अपने समय के अनुसार पाठ कर सकते हैं।
जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े, जूते-चप्पल, धन का दान करना चाहिए। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए भी दान जरूर करें।