छत्तीसगढ़ के बस्तर में वनवासी परिवारों ने ईसाई मत त्यागकर घर वापसी कर ली है। बुदेली गांव के रहने वाले इन ग्रामीण वनवासी परिवारों ने अपनी मूल संस्कृति में लौटने का निर्णय लिया और गांव की देवी शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना की जिसके बाद उन्होंने संकल्प लिया कि वे अपना आगे का जीवन अपने मूल धर्म संस्कृति में ही रहकर बिताएंगे।
बतादें, इससे पहले छत्तीसगढ़ में दिसंबर से लेकर अबतक करीब 2 हजार से ज्यादा लोगों ने घर वापसी की है। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के रायपुर में पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कथा कार्यक्रम में एक हजार लोगों ने सनातन धर्म में घर वापसी की थी।
भाजपा नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने पैर धोकर उनका सनातन धर्म में स्वागत किया था। ये वे परिवार हैं, जो अलग-अलग कारणों से सनातन धर्म छोड़कर दूसरे पंथ में चले गये थे, अब वो फिर से हिंदू धर्म में वापसी कर रहे हैं।
घर वापसी को लेकर प्रबल प्रताप जूदेव का कहना था कि शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले उनके पिता दिलीप कुमार जूदेव ने 30 वर्ष पहले घर वापसी कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
उन्होंने कहा कि घर वापसी को आमतौर पर शुद्धिकरण अनुष्ठान के तौर पर लिया जाता है। उनका कहना था कि लोगों के चरण पखारने की शुरुआत उन्होंने इसलिए की, ताकि ये सिद्ध किया जा सके कि वनवासियों की भी घर वापसी हो सकती है।
छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका ईसाई मिशनरियों के निशाने पर रहा है। लेकिन लोग अब सनातन की ओर वापस लौट रहे हैं। पिछले दिनों बस्तर में 16 परिवारों के 81सदस्यों ने घर वापसी के साथ सनातन धर्म को अपनाया। इसी तरह इसके पहले भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में 1000 ईसाई लोगों ने स्वेक्षा से सनातन धर्म को अंगीकार कर चुके हैं।