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24 को होगा होलिका दहन, 25 मार्च को रहेगी स्नान-दान और व्रत-पूजा की पूर्णिमा

संवाद 


फाल्गुन महीने की पूर्णिमा रविवार और सोमवार, दोनों दिन रहेगी। इस तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। परंपराओं और मान्यता के मुताबिक फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर व्रत रखने से महापुण्य मिलता है और हर तरह के कष्ट दूर होते हैं, इसलिए इस दिन व्रत रखा जाता है। व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की विशेष पूजा और सत्यनारायण कथा करने की भी परंपरा है। 
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह करीब साढ़े 9 बजे से शुरू होगी और 25 तारीख को दोपहर साढ़े 12 बजे तक रहेगी। इस कारण 24 को होलिका दहन किया जाएगा। वहीं, 25 को सूर्योदय के वक्त पूर्णिमा तिथि होने से इस दिन स्नान-दान के साथ व्रत और पूजा की जाएगी। 

ये हिंदू कैलेंडर का आखिरी दिन

फाल्गुन हिंदू पंचांग का आखिरी महीना होता है। इस महीने का आखिरी दिन पूर्णिमा ही होती है, इसलिए ये खास होता है। विष्णु, मत्स्य, ब्रह्म और नारद पुराण के मुताबिक इसे मन्वादि तिथि भी कहा जाता है। यानी इस दिन दिया गया दान अक्षय पुण्य देने वाला होता है, इसलिए इस दिन तीर्थ स्नान और श्रद्धा के मुताबिक दान देने की परंपरा है।

फाल्गुन पूर्णिमा की परंपराएं

1. फाल्गुन पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करने की परंपरा है। पुराणों में कहा गया है कि ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। 
2. स्नान के बाद श्रद्धा के हिसाब से दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लिया जाता है। 
3. घर में विष्णु भगवान की पूजा के बाद मंदिर में जाकर दर्शन किए जाते हैं। सत्यनारायण कथा का पाठ करवाया जाता है।
4. जरूरतमंद लोगों को भोजन, पानी और कपड़े के साथ ही जरूरी चीजों का दान करना चाहिए।

पितरों के श्राद्ध का दिन

फाल्गुन पूर्णिमा मन्वादि तिथि होने से इस दिन पितृ पूजा का भी विशेष महत्व है। मत्स्य, नारद और विष्णुधर्मोत्तर पुराण में बताया गया है कि इस दिन श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। कई जगहों पर इस दिन तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष कम होता है।

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