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भगवान की मूर्ति को कोर्ट में पेश नहीं कर सके थानेदार, जज हुए नाराज...एसपी को दिया ये निर्देश


संवाद 


बिहार के गोपालगंज में एक अनोखा मामला सामने आया है. एक हजार का जुर्माना करने के बाद भी ठाकुर जी (भगवान) की मूर्ति को हथुआ के थानेदार ने कोर्ट में पेश नहीं किया. इसके बाद कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए पुलिस के रवैये पर प्रश्न खड़ा किया. कोर्ट ने एसपी को निर्देश देते हुए बोला है कि थाने के मालखाने में भगवान की मूर्ति है या नहीं? इसकी जांच कराएं. कोर्ट ने प्रश्न किया है कि मालखाने की चाभी लेकर कोई पुलिस अफसर कैसे जा सकता है. कोर्ट में ही कुछ साधु-संत ठाकुर जी का भोग लगाने के लिए सामग्री लेकर आए थेहथुआ थानेदार की तरफ से भगवान की मूर्ति को कोर्ट में पेश करने में नाकाम रहने पर सीजेएम मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने गंभीरता से लिया. कोर्ट में सुनवाई के क्रम में मंदिर के पुजारी भावुक हो उठे. पुजारी ने बोला कि आज ठाकुर जी के लिए भोग-राग की सामग्री लेकर आये थे कि कन्हैया मालखाना से बाहर आएं तो क्षमा मांग कर उनको भोग लगाएंगे. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए बोला कि पिछली तारीख पर हथुआ थाना प्रभारी ने न्यायिक निर्देश का अनुपालन नहीं किया. इन पर वाद स्थगन खर्च के रूप में एक हजार रुपया का जुर्माना किया गया था. इसके बाद वे भी न्यायिक निर्देश का अनुपालन करने में नाकामयाब रहे हैं. न ही कोई स्पष्ट कारण इस कोर्ट के समक्ष रखा है. 

लोगों को आशंका है कि मूर्ति मालखाने से लापता हो सकती है.

 कोर्ट ने एसपी को निर्देश दिया कि वे अविलंब डीएसपी स्तर के पदाधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी गठित कर हथुआ थाने के मालखाने की जांच कराए. क्या वास्तव में मूर्ति मालखाने में है? क्या मालखाने की चाभी कोई पुलिस पदाधिकारी लेकर चला गया और समय उपलब्ध नहीं कराया तो उसके विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई? कोर्ट ने प्रश्न उठाते हुए बोला है कि किस परिस्थिति में न्यायिक निर्देश का अवहेलना किया जा रहा. जांच के बाद हथुआ थाना प्रभारी के खिलाफ ठोस कार्रवाई करते हुए इस न्यायालय को सूचित करें. कोर्ट ने निर्देश के प्रति को डीआइजी सारण को भेजने का निर्देश दिया है. अब इस कांड में अगली सुनवाई 12 मार्च को मुकर्रर की गई है. बचाव पक्ष ने मालखाना से मूर्ति लापता होने की आशंका जताई है. वकील परमेंद्र पांडेय ने सीजेएम कोर्ट को बताया कि पिछली लगातार दो तारीखों से थाना प्रभारी हथुआ द्वारा न्यायिक निर्देश का जानबूझकर अवहेलना किया जा रहा है. वकील ने थानेदार पर इल्जाम लगाते हुए बोला कि कोर्ट में मूर्ति प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं. न ही खुद कोर्ट में मौजूद हो रहे हैं. थाने के मालखाने की चाभी स्थानांतरित पदाधिकारी पूर्व में लेकर चले गए हैं. इसलिए मालखाने से मूर्ति नहीं निकाली जा सकती. आशंका है कि अष्टधातु की प्राचीन मूर्ति को पुलिस की मिली भगत से थाने से लापता कर दी गई है, इसलिए पुलिस जानबूझकर कोर्ट के सामने झूठा तथ्य प्रस्तुत कर रही है. जबकि जिला अभियोजन पदाधिकारी हीरा लाल गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि थाना प्रभारी से न्यायिक निर्देश के अनुपालन के संबंध में बात की तो उन्होंने मालखाना के चाभी नहीं होने की बात बताई. यह तथ्य उनके भी समझ से परे हैं. आखिर कोई पदाधिकारी मालखाने की चाभी लेकर चला गया और उपलब्ध नहीं करा रहा है तो हथुआ थाना प्रभारी की तरफ से एसपी और कोर्ट को अवगत क्यों नहीं कराया गया.दरअसल, हथुआ थाने के बरी रायभान गांव में 1925 से स्थापित श्रीराधा-कृष्ण गोपीनाथ मंदिर से चोरों ने 13 फरवरी 2018 को अष्टधातु की मूर्ति चोरी कर ली. हथुआ थाने में अज्ञात चोरों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. 23 नवंबर 2018 को तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय की तरफ से सत्य सूत्रहीन बताते हुए अंतिम प्रपत्र संख्या 211/2018 समर्पित कर दी गई. 28 फरवरी 2019 को कोर्ट की तरफ से अंतिम प्रपत्र स्वीकृत कर लिया गया.
बरीराय भान से तालाब से मिट्टी खुदाई करने के क्रम में 13 जून 2023 को एक अष्टधातु की श्रीकृष्ण की मूर्ति बरामद हुई थी. इसे थाने के मालखाना में सुरक्षित रखा गया है. कांड के सूचक ने मूर्ति की पहचान करते हुए उसे अपने मंदिर से चोरी होने का दावा किया, इसके बाद पूजा-पाठ भोग के लिए सौंपने की विनती की गई थी. कोर्ट ने अभियोजन पदाधिकारी हीरालाल गुप्ता को सुना. इस विषय में थाने से पूर्व में रिपोर्ट की मांग की गई थी. हथुआ थाना प्रभारी ने रिपोर्ट में राम-जानकी मंदिर की मूर्ति का उल्लेख किया है. तब से भगवान की रिहाई को लेकर मामला चल रहा है.

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