उर्मिला ठाकुर नाई जाति की अति पिछड़ा समाज से आने वाली महिला हैं.
जातीय गणना की रिपोर्ट में अति पिछड़ा की आबादी 36% के करीब है. ऐसे में उर्मिला ठाकुर को विधान परिषद बनाने की रणनीति आरजेडी के लिए कारगर साबित हो सकती है और अति पिछड़ा वोट बैंक को लुभाने का भी यह प्रयत्न होगा.वहीं, अल्पसंख्यक समाज से आने वाले फैसल अली जो 2019 में शिवहर से आरजेडी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि फैसल अली काफी पुराने कार्यकर्ता नहीं हैं, लेकिन 2019 से सक्रिय रूप से कम कर रहे थे. आरजेडी ने फैसल अली को मौका देकर अपने 'एमवाई' समीकरण को बरकरार रखा है क्योंकि दो उम्मीदवार अल्पसंख्यक समाज से आते हैं और गणना रिपोर्ट में 18% आबादी अल्पसंख्यक की है. ऐसे में अब्दुल बारी सिद्दीकी के अलावे फैसल अली को उम्मीदवार बनाने का फैसला कारगर साबित हो सकता है.बता दें कि विधान परिषद चुनाव में 11 पदों के लिए 4 मार्च से नामांकन की तिथि थी, जिसकी आखिरी तिथि 11 मार्च है. 21 मार्च को विधान परिषद में वोटिंग की जाएगी और उसी दिन परिणाम की घोषणा की जाएगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राबड़ी देवी सहित 11 लोगों का विधान परिषद का समय सीमा 6 मई 2024 है. इससे पहले चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन 2 दिन पूर्व नामांकन कर चुके हैं.हालांकि अभी बीजेपी की तरफ से कौन-कौन उम्मीदवार होंगा और उनका नामांकन कब होगा? इसका अभी एलान नहीं किया गया है. साथ ही महागठबंधन में पांच सदस्यों को जगह मिली है. चार पर आरजेडी ने दावा कर दिया है और एक वाम दल को मिला है.