वहीं, पशुपति पारस गठबंधन से बात करने के लिए कभी विनोद तावड़े तो कभी मंगल पांडे आ रहे हैं. हालांकि, उनकी ओर से भी कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल रहा है.
ऐसे में गुजरते समय के साथ पशुपति पारस का बीजेपी का सहयोगी बने रहना थोड़ा मुश्किल ही लग रहा है.
गौरतलब है कि बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर कई पेंच फंसे हुए हैं. एक तरफ भतीजे चिराग पासवान हाजीपुर सीट पर अपना दावा ठोक रहे हैं तो दूसरी ओर चाचा पशुपति पारस ये सीट देने को तैयार नहीं हैं. चाचा-भतीजे के बीच यह लड़ाई हाजीपुर सीट के लिए ही है. वहीं, अंदरखाने यह खबर आ रही थी कि एनडीए के तहत हाजीपुर सीट चिराग पासवान को देने का फैसला किया गया है और पशुपति पारस को राज्यसभा सीट ऑफर की जा रही है. हालांकि, पारस ऐसा नहीं चाहते. जानकारी के लिए बता दें कि चिराग पासवान फिलहाल जमुई सीट से सांसद हैं और पशुपति पारस हाजीपुर सीट से सांसद हैं. इस बार चिराग पासवान की मांग है कि वह जमुई की जगह हाजीपुर से लड़ना चाहते हैं और गठबंधन उनके पक्ष में निर्णय लेता भी दिख रहा है, जिसे चाचा पारस नाराज हैं.